
सारंगढ़ अंचल में धान के साथ मिर्च की खेती में जुटे किसान, बनी आमदनी का नया जरिया अन्य राज्यों तक डिमांड, किसानों को मिल रहा अच्छा दाम
सारंगढ़ टाईम्स न्यूज/दानसरा,
सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के सारंगढ़ क्षेत्र के किसानों ने अब पारंपरिक धान की खेती के साथ
मिर्च और अन्य सब्जियों की खेती को भी अपनाना शुरू कर दिया है। खासकर मिर्च की खेती इन दिनों पूरे क्षेत्र में जोरों पर है। सालर, सेमरा, छतादेई, बघनपुर, बोईरडीह और माधोपाली जैसे गांवों में किसान बड़े पैमाने पर मिर्च की फसल ले रहे हैं। किसानों का कहना है कि मिर्च की खेती से उन्हें अच्छा मुनाफा हो रहा है। वर्तमान में खेतों में पौध रोपण का कार्य चल रहा है, वहीं कई किसान मेड़ों को संवारने में जुटे हुए हैं। किसानों का मानना है कि मजबूत और ऊंची मेड़ मिर्च के पौधों को तेज हवा, भारी बारिश या फल की अधिकता से गिरने से बचाती है। बारिश के दौरान खेतों में पानी भरने की स्थिति में ऊंची मेड़ और बनाई गई नालियां पानी की निकासी में सहायक होती हैं, जिससे पौधों को गलन से बचाया जा सकता है।
लंबी अवधि तक चलती है मिर्च की फसल
किसानों सरोज पटेल और लंबोदर पटेल ने बताया कि मिर्च की फसल यदि समय पर खाद-पानी दी जाए तो यह फसल 8 से 9 महीने तक लगातार उत्पादन देती है। इसके जरिए किसानों को लंबे समय तक किश्तों में आमदनी मिलती रहती है। यह एक डिमांड वाली फसल है, जिसमें नुकसान की संभावना बहुत कम होती है और मुनाफा लगभग तय रहता है।
अन्य राज्यों में भी बढ़ी डिमांड
सारंगढ़ क्षेत्र की मिर्च अब छत्तीसगढ़ के बाहर भी पहचान बना चुकी है। ओडिशा के कटक और भुवनेश्वर, झारखंड, पश्चिम बंगाल, तथा छत्तीसगढ़ के रायपुर, कोरबा, बिलासपुर जैसे शहरों में इसकी भारी मांग है। किसान खुद सप्लाई नहीं करते, बल्कि मिर्च तोड़कर अपने घरों के बाहर या गांव की चौपालों पर रख देते हैं। वहां व्यापारी आकर तौल करते हैं और मिर्च को बड़ी गाड़ियों में भरकर सीधे बाजारों तक ले जाते हैं। छतादेई के किसान परमानंद साहू और माधोपाली के रूपराम नायक ने बताया कि अन्य राज्यों में बिक्री होने से मिर्च का दाम अच्छा मिलता है, जिससे किसानों की आमदनी में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है।