
छत्तीसगढ़ में मोतियाबिंद ऑपरेशन के दौरान लगा रहे घटिया लेंस, पीएमओ से शिकायत…
रायपुर. छत्तीसगढ़ राज्य पॉवर कंपनियों के कर्मचारियों एवं पेंशनरों केलिये लागू कैशलेस स्वास्थ्य योजना के तहत आंख के अस्पतालों में मोतियाबिंद के इलाज के दौरान लेंस की क्वालिटी को लेकर अतिरिक्त रकम मांगी जा रही है. पैसे नहीं देने पर घटिया क्वालिटी के लेंस लगाए जा रहे हैं. इसकी शिकायत इंजीनियरिंग पब्लिक वेलफेयर एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री कार्यालय से की है.
और एसोसिएशन का कहना है कि केंद्र सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार हर लेंस की कीमत उसका प्रॉफिट पहले से ही तय है. इसके बावजूद अस्पतालों में इस नियम को नहीं माना जा रहा है. अस्पतालों द्वारा मोतियाबिंद आपरेशन के बाद उपयोग में आने वाले इंट्राआक्यूलर लेंस को डीपीसी शेड्यूल में शामिल कर इसी की सीलिंग प्राइज भी तय नहीं की जा रही है.
अस्पताल वाले संगठित होकर मरीजों को लूट रहे हैं. 750 वाले लेंस को 15 हजार रुपए तक में बेचा जा रहा है. राज्यभर में 1 अप्रैल 2025 से 30 अगस्त 2025 तक करीब 150 मोतियाबिंद के ऑपरेशन हो चुके हैं. एसोसिएशन के अध्यक्ष पीके खरे के मुताबिक यह योजना डॉक्टरों के बीच लोकप्रिय है. क्योंकि बिल जमा करने की तारीख से 10 दिनों में भीतर पूरा भुगतान हो जाता है.