
सारंगढ़ शहर का नजूल सीट में “नक्शा” बना ही नही, फिर भी मंगाया गया है दावा-आपत्ति?
कई शासकीय भूमि नजूल शीट में हो गई निजी?
सिर्फ खसरा नंबर के आधार पर दावा-आपत्ति?
प्रशासन की अधूरी तैयारी से पब्लिक हो रही है परेशान,
सारंगढ़ टाईम्स न्यूज/सारंगढ़,
सारंगढ़ शहर के नजूल सीट को लेकर मनमानी करने की खबरे छनकर सामने आ रही है। यहा पर नजूल शीट का अवलोकन करके दावा-आपत्ति मंगाया गया है किन्तु मौके पर नक्शा ही नही है। नजूल अधिकारी के सहायक ग्रेड़ नेताम बाबू के पास सिर्फ खसरा रकबा का लिस्ट है वहा पर शहर का नजूल शीट का नक्शा ही नही है। ऐसे में नक्शा में यदि शीट का लोकेशन बदल गया हो तो आखिर कैसे में आम आदमी अपना दावा-आपत्ति करेगा। वही इस नजूल शीट मे कई प्लाट ऐसे है जो कि पहले शासकीय भूमि और छोटे झाड़ के जंगल मद में दर्ज भूमि था उसे निजी व्यक्तियो के नाम पर दर्ज बताया जा रहा है जिसके कारण से नजूल शीट के बहाने बड़े स्तर पर भूमि घोटाला होने की बदबू आ रही है। जिसका जल्द की बड़ा खुलासा होगा। इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार सारंगढ़ शहर का नजूल शीट का प्रकाशन कर दिया गया है तथा इस नजूल शीट को लेकर दावा-आपत्ति मंगाया गया है। जिला नजूल अधिकारी ने नजूल दावा-आपत्ति के लिये एक माह का समय दिया है किन्तु कलेक्टोरेट में नजूल अधिकारी के बाबू के पास नजूल शीट का नक्शा ही नही है बिना नक्शा के ही दावा- आपत्ति करने का सलाह दिया जा रहा है। महज खसरा और रकबा के आधार पर ही नजूल अधिकारी के कार्यालय में दावा-आपत्ति किया जा रहा है। जबकि नक्शा नही होने पर प्लाट के स्वामी को अपना प्लाट का लोकेशन नही दिख पायेगा और यदि बाद मे लोकेशन दूसरे स्थान पर बताया तो क्या होगा? यही संशोधन फिर से करना होगा। इसलिये फौरन शासन को नजूल शीट का नक्शा भी दावा-आपत्ति के समय ही उपलब्ध कराना होगा।
उल्लेखनीय है कि सारंगढ़ नजूल क्षेत्र का नक्शा बटांकन तथा खसरा का निमार्ण नही होने के कारण से शहरी क्षेत्र मे नजूल प्लाटो का नामांतरण को लेकर काफी परेशानी आ रही थी तथा लगभग 10 वर्षो से नजूल नामांतरण की प्रक्रिया लगभग ठप्प पड़ गई है। कई बार इस संबंध में उच्चाधिकारियो और केबिनेट मंत्रियो से मांग आदि करने के बाद भी इस समस्या का निराकरण नही हो पा रहा था। नवीन जिला बनने के बाद प्रथम कलेक्टर डी.राहुल वेंकट ने इस दिशा मे पहल किया था और शहरी नजूल क्षेत्र का ड्रोन और जीपीएस सर्वेक्षण कर नक्शा तथा खसरा निमार्ण का कार्य को आधुनिक तकनिक से करने के लिये छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् को काम सौप दिया था जिस पर उक्त विभाग के द्वारा प्रदाय 32 नक्शा सीट एवं भूखण्ड विवरण सूची के आधार पर तहसीलदार सारंगढ़ द्वारा राजस्व निरीक्षक (नजूल) की टीम से भौतिक सत्यापन कराया गया जिसमें कुल 1935 प्लाट में
से 1- 1451 प्लाट मौके पर सत्यापित, 2- 484 प्लाट बटांकन, चिन्हांकन विलुप्त होने के
कारण अंतिम विनिश्चय हेतु शेष है। इस संबंध मे नजूल अधिकारी ने बताया कि जिला कार्यालय के सूचना पटल एवं जिले के वेबसाइट https://sarangarh bilaigarh.cg.gov.in पर नजूल सीट का अवलोकन कर सकते हैं। तथा किसी भी प्रकार से विसंगति होने पर दावा-आपत्ति किया जा सकता है। उन्होने बताया कि यदि किसी भी व्यक्ति को किसी प्रकार की आपत्ति हो तो वे अपना दावा/आपत्ति न्यायालय अपर कलेक्टर सारंगढ़-बिलाईगढ़ में प्रकाशन तिथि से 30 दिवस के भीतर स्वयं अथवा अपने अभिभाषक के माध्यम से उपस्थित होकर प्रस्तुत कर सकते हैं। निर्धारित तिथि के पश्चात् प्राप्त दावा आपत्तियों पर विचार नहीं किया जावेगा एवं अग्रिम कार्यवाही की जावेगी।
किन्तु जब दावा-आपत्ति के लिये कार्यालय जाकर अवलोकन के लिये नक्शे की मांग किया गया तो नक्शा वहा पर नही था। नजूल का काम देखने वाले नेताम बाबू ने बताया कि नक्शा बना ही नही है तो कहा से दिखायें। ऐसे मे बिना नक्शा के नजूल शीट के लिये दावा-आपत्ति करने से बड़ी समस्या खड़ी हो रही है। कई शासकीय भूमि नजूल शीट में हो गई निजी? सारंगढ़ शहर के नजूल शीट के सूची का अवलोकन करने से बड़े स्तर पर भूमि घोटाला की बूं आ रही है। यहा पर राजस्व विभाग में 2018 तक जो भूमि शासकीय मद की छोटे झाड़ के जंगल मद की भूमि दर्शा रहा था उसको इस नजूल शीट में निजी व्यक्तियों के प्लाट के रूप मे दिखाया जा रहा है। राजस्व विभाग में दर्ज शासकीय भूमि नजूल प्लाट में दूसरे खसरा नंबर के साथ परिर्वतित हो गया है। लगभग दर्जनभर से अधिक लोगो के नाम पर शासकीय भूमि को दर्ज कर दिया गया है और नजूल शीट में इसको निजी दर्शाया गया है। वही सूत्र बताते है कि 2018 में तहसीलदार को नजूल के आरआई ने एक प्रतिवेदन दिया जिसमें शासकीय छोटे झाड़ के जंगल मद की भूमि को राजस्व रिकार्ड में फेरबदल करके निजी भूमि के रूप मे दर्ज करने का आदेश दे दिया गया तथा उसी पटकथा के अनुरूप में अब नजूल शीट में पूरा भूमि निजी बताया जा रहा है। बाजार कीमत के अनुसार करोड़ो रूपये के कीमती इस भूमि का शायकीय छोटे झाड़ के जंगल मद से परिर्वतित होकर निजी प्लाट के रूप मे दर्ज होने की कहानी में बड़े- बड़े चेहरे छिपे हुए है। जिससे साफ तौर पर ज्ञात हो रहा है कि सारंगढ़ के नजूल शीट में नक्शा के बिना दावा-आपत्ति होना शासकीय भूमि के निजी व्यक्तियो के नाम पर दर्ज कराने का एक षड़यंत्र के रूप मे सामने दिख रहा है।