सारंगढ़ के सरकारी डाक्टर ओपीडी टाईम करते है निजी कार्य? कलेक्टर के निर्देश के बाद भी नही आते है ओपीडी में! निजी हॅास्पिटल और निजी क्लीनिक में देते है समय?
चिकित्सा विशेषज्ञ नही आते है ओपीडी, बिना मरीज देखे लेते है तनख्वाह? सारंगढ़ में सरकारी अस्पताल का हाल-बेहाल, बिना पंजीयन संचालित अवैध हॉस्पिटलो पर कार्यवाही शून्य?
भाग-3,
सारंगढ़,
सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला के जिला मुख्यालय सारंगढ़ में स्थित सरकारी अस्पताल में डाक्टरो की मनमानी से स्थिति बद से बदत्तर हो गई है। यहा पर जिम्मेदार सरकारी डाक्टर ओपीडी में नही बैठते है बल्कि निजी हॉस्पिटल अथवा निजी प्रेक्ट्रिस के लिये समय देते है जिसके कारण से जरूरतमंद मरीजो को ईलाज के लिये दर-दर भटकना पड़ता है। सारंगढ़ कलेक्टर ने महिना भर पहले इन्ही सभी बातो को लेकर सारंगढ़ के सरकारी अस्पताल में लिखित में निर्देश देकर ओपीडी और अन्य बिन्दुओ का पालन करने का आदेश दिया था किन्तु कलेक्टर के भी आदेश के परवाह नही करते हुए यहा के कई सरकारी डाक्टर बिना काम के लाखो रूपये का तनख्वाह लेने को तैयार है।
सारंगढ़ के सरकारी अस्पताल में वर्तमान में डाक्टरो की पदस्थापना है किन्तु ओपीडी में मात्र 5-6 डाक्टर की उपस्थित रहते है। किन्तु चिकित्सा विशेषज्ञ डाक्टरो की मनमानी तो और भी सर-चढ़कर बोल रही है। यहा पर ओपीडी में एक भी चिकित्सा विशेषज्ञ नही बैठते है और मरीजो को देखते तक नही है। वही 5 सितंबर को कलेक्टर सारंगढ़ ने ओपीडी के संबंधी में स्पष्ट आदेश दिया था कि सभी चिकित्सा और चिकित्सा विशेषज्ञ ओपीडी में हर हाल में बैठेगें। किन्तु उनके आदेश पर भी अमल नही किया गया और वरिष्ठ चिकित्सो की मनमानी सर-चढ़कर बोलने लगा। सूत्र बताते है कि यहा पर कार्यरत बीएमओ का एक एक नर्सिग होम में जाना, चिकित्सा विशेषज्ञ कुछ डाक्टरो का जिले के कई निजी हॉस्पिटल में ओपीडी और सर्जरी के लिये समय देना तथा सरकारी अस्पताल के ओपीडी में नही बैठने की कई
कहानी सामने आ रही है। कुछ नामीगिरामी डाक्टर नये जिले मे बेनामी नाम से निजी हॉस्पिटल संचालित कर रहे है और पूरा समय उन हास्पिटल को देते है जिसके कारण से उनका ध्यान सारंगढ़ के सरकारी अस्पताल के ओपीडी में नही है। सरकारी डाक्टरो के निजी प्रेक्ट्रिस नही करने के छ.ग.शासन के आदेश के विपरीत सारंगढ़ के सरकारी डाक्टर आज भी ओपीडी में नही बैठते है तथा अपना बहुमूल्य समय निजी क्लिनिक के ओपीडी में देते आ रहे है।
बिना पंजीयन के चल रहे अस्पताल पर मेहरबान?
सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला में अर्से से निजी हॉस्पिटलो के निरीक्षण और नियम-कानून के खिलाफ संचालित होने की शिकायते आ रही है किन्तु यहा पदस्थ सरकारी अमला गत 6 माह से तक करना बंद कर दिये है। किसी दूसरे डॉ. के नाम पर अस्पताल का पंजीयन कराकर दूसरे डाक्टरो के द्वारा किया जा रहा ईलाज का भी कई शिकायते है किन्तु सरकारी अमला ऐसे अस्पतालो को बचाने मे लगा है। जिले मे कई ऐसे अस्पताल संचालित है जिसमें पंजीयन किसी दूसरे डाक्टर का है और पूरा ईलाज से लेकर सारा काम कोई और डाक्टर देख रहा है। ऐसे शिकायतो पर कार्यवाही के स्थान पर सरकारी अमला ऐसे लोगो को संरक्षित करने मे लगे हुए है। देख जाये तो गत 6 माह से अवैध रूप से संचालित अस्पतालो को लेकर जवाबदार सरकारी टीम ने एक भी क्लिनिक या अस्पताल पर कोई कार्यवाही नही किया है।
एसडीएम के सामने ही मरीज ने लगाई गुहार?
इस संबंध मे सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार कुछ दिन पहले जीवनदीप समिति के बैठक के दौरान शाम 5 बजे एसडीएम के सामने ही एक पिड़ित मरीज ने डाक्टर और ओपीडी की शिकायत मौखिक रूप से किया था। पिड़ित मरीज ने बताया कि उनका दांत दर्द हो रहा है किन्तु वे दोपहर 2 बजे से भटक रहे थे। दूसरे डाक्टर के पास जाने पर दांत वाले डाक्टर के पास जाने को बोला जाता था किन्तु दांत वाला डाक्टर स्वास्थगत कारणो से अनुपस्थित था फिर भी कोई दूसरा डाक्टर मरीज की परेशानी देखकर रिलीफ दवा देने और देखने को तैयार नही हुआ। ऐसे मे पिड़ित मरीज एसडीएम को देखकर अपनी अपबीती बताकर व्यवस्था मे सुधार लाने का निवेदन किया था।
गरीब मरीजो का ओपीडी एक मात्र सहारा
सारंगढ़ के अस्पताल मे गरीब मरीजो के लिये हर दिन खुलने वाले ओपीडी बड़ा सुविधा होता है। किन्तु 19 डाक्टर होने के बाद भी मरीजो के लिये बनाया गया ओपीडी में डाक्टरो का नही बैठना बड़ी समस्या के रूप मे जिला प्रशासन के समक्ष आया है। सरकारी अस्पताल के ओपीडी में सरकारी डाक्टर बैठ नही रहे है और निजी क्लीनिक और हॉस्पिटल मे अपना समय दे रहे है जो कि साफ तौर पर मनमानी आचरण का परिचायक है। बताया जा रहा है कि सारंगढ़ में ओपीडी में कलेक्टर के निर्देश के बाद भी वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी विशेषज्ञ अपना समय नही दे रहे है तो लाखो रूपये का तनख्वाह आखिर क्यों ले रहे है?