जिला- सारंगढ़ बिलाईगढ़

सारंगढ़-बरमकेला के सेवा सहकारी समितियों में होता है करोड़ो रूपये का वारा-न्यारा?

सारंगढ़-बरमकेला के सेवा सहकारी समितियों में होता है करोड़ो रूपये का वारा-न्यारा?
फर्जी भूमि पंजीयन से शुरू होता है फर्जीवाड़ा?
किसानो के नाम पर फर्जी रूप से ऋण?
फर्जीवाड़ा कर खाद और बीज का उठाव?
वर्षो से पदस्थ प्रबंधको की बल्ले-बल्ले?
धान खरीदी में लाल हो रहे है धान माफिया?
कार्यवाही का अभाव बढ़ा रहा है मनोबल,
सारंगढ़,
सारंगढ़-बरमकेला अंचल के सेवा सहकारी समितियो मे बड़ी गड़बड़ी का खेल वर्षो से चलते आ रहा है। सरकार किसी की भी हो यहा पर कभी भी कार्यवाही नही होने से फर्जीवाड़ा करने वाले माफिया करोड़ो रूपये के असामी हो गये है। आसन्न सत्र के शुरूवात मे ही 2 हजार एकड़ से अधिक भूमि का पंजीयन फर्जी पाये जाने पर सिर्फ प्रबंधको को हटाकर उनको अभयदान दे दिया गया। अब किसानो के नाम पर फर्जी ऋण का मामला सामने आने और किसानो के नाम पर फर्जी ढंग से खाद और बीज का उठाव करने जैसे संगीन मामला लगातार सामने आ रहे है। वर्षो से पदस्थ प्रबंधको के कारण से सारंगढ़ और बरमकेला अंचल का सेवा सहकारी समिति अंचल का फर्जीवाड़ा का सबसे बड़ा केन्द्र बन गया है। मजेदार बात यह है कि राज्य मे सरकार किसी की भी हो यहा पर प्रबंधक वही रहता है और बड़े स्तर पर खेल खेलता है।
दरअसल सारंगढ़ की राजनिति में धान खरीदी केन्द्रो के माफियाओ का बड़ा महत्व है। यहा पर धान खरीदी के नाम पर होने वाला बड़े स्तर का फर्जीवाड़ा से करोड़ो रूपये का वारा-न्यारा होता है। सरकार किसी की भी हो यहा पर धान खरीदी के बड़े चेहरे दोनो ही दलो मे अपनी घुसपैठ रखते है। इस कारण से धान खरीदी केन्द्रो के बड़े से बड़े फर्जीवाड़ा सामने आने पर भी बड़े अपराधिक कार्यवाही के स्थान पर नाम मात्र की कार्यवाही होती है। इस कारण से धान खरीदी केन्द्रो पर आज भी करोड़ो रूपये का वारा-न्यारा प्रशासन के नाक के नीचे हो रहा है जो कि नया जिला बनने के बाद और भी ज्यादा हो गया। सारंगढ़ के धान खरीदी केन्द्र में सबसे बड़ा घोटाला इस साल के धान खरीदी प्रारंभ होने के ठीक पहले सामने आया और नवंबर माह मे किसा गया सूक्ष्म जांच में गाताड़ीह, जशपुर, बरदुला और उलखर के धान खरीदी केन्द्र मे लगभग 2 हजार एकड़ से अधिक के जमीन का फर्जी पंजीयन का मामला सामने आया है। इस मामले मे जहा पर जिला प्रशासन को चार सौ बीसी का प्रकरण दर्ज करना था वहा सिर्फ प्रबंधको को हटाकर मामला को रफा-दफा कर दिया गया जबकि इस मामले मे सभी चार प्रबंधको के खिलाफ पुलिस में अपराधिक मामला होना था। किन्तु प्रशासनीक अधिकारियो के राहतभरा कार्यवाही से प्रबंधको के हौंसले बुलंद है। वही नई सरकार बनने के बाद आशा जाहिर हुआ था कि इस मामले मे सूक्ष्म और कड़ी कार्यवाही होगी किन्तु ऐसा नही हुआ और पर्दे के पीछे से निलंबित हो चुके प्रबंधको ने ही पूरे सत्र मे धान खरीदी का काम निपटा दिया और प्रशासन को पता ही नही चला। वही धान खरीदी संपन्न होने के बाद अब किसानो के नाम पर फर्जी रूप से ऋण लिये जाने का मामला प्रकाश मे आया है। किन्तु कार्यवाही नही होते देख अब सारंगढ़ विधायक श्रीमती उत्तरी जांगड़े को भी कलेक्टर को ज्ञापन सौप कर फर्जीवाड़ा करने वालो के खिलाफ कार्यवाही के लिये मैदान पर उतरना पड़ रहा है। ऐसे मे सारंगढ़ के धान खरीदी केन्द्रो और सेवा सहकारी समितियो मे आखिर क्या-क्या गड़बड़झाला है? इस बात की पूरी सूक्ष्मता से जांच होने पर ही मामला सामने आयेगा और इस मामले मे दोषी पाये जाने वाले प्रबंधको पर एफआईआर की कार्यवाही होने से सारंगढ़ और बरमकेला मे फर्जीवाड़ा पर अंकुश लग सकता है।
कैसे होता है यहा पर फर्जीवाड़ा?‌
सारंगढ़ के सेवा सहकारी समितियो मे करोड़ो रूपये का वारा-न्यारा की शुरूवात धान खरीदी से पहले के दो माह में किया जाता है। यहा पर सबसे पहले पटवारियो और राजस्व अधिकारियो के साथ-साथ सहकारिता और कृषि विभाग के अधिकारियो के साथ मिलीभगत करके फर्जी रूप से भूमि पंजीयन का खेल खेला जाता है। लगभग हर सेवा सहकारी समिति में भूमि पंजीयन को बढ़ाकर दर्ज किया जाता है। किसानो के फर्जी नाम से या वास्तविक किसानो के नाम पर बढ़ा हुआ रकबा का पंजीयन को पटवारियो के साथ मिलीभगत करके बढ़ाया जाता है। तथा उन किसानो के नाम के आगे मे जो बैंक खाता का विवरण डाला जाता है उसको धान माफिया अपने या अपने रिश्तेदार के नाम का डालते है। ताकि उनके नाम पर किया गया धान खरीदी का भुगतान उसके खाते पर आये। उसके बाद दिसंबर माह के प्रारंभिक समय में ही फर्जी किसानो के नाम पर समिति मे धान की खरीदी की आवक बताकर खरीदी पूर्ण किया जाता है और भुगतान कर दिया जाता है वही राईस मिलर्स के नाम पर कटा डीईओ को कागज पर राईस मिलर्स के द्वारा उठाना बता दिया जाता है। जिसके कारण से धान की खरीदी पूर्ण रूप से कागजो पर हो जाती है तथा फर्जी किसानो के नाम पर खेला दिसंबर के शुरूवात में ही हो जाता है। बाद मे रबी की फसल को खरीदकर राईस मिलर्स को उतना धान दे दिया जाता है और 3100 रूपये के भुगतान मे हुआ मुनाफा का सभी हिस्सा मे बांट लेते है। इसमे सेवा सहकारी समिति के प्रबंधक, कम्प्यूटर आपरेटर, आरईओ, राजस्व विभाग के कर्मचारी और धान खरीदी से जुड़े सहकारिता के बड़े खिलाड़ी के साथ-साथ राईस मिल के किंग भी शामिल होते है। अब दूसरे भाग मे ऐसे फर्जी किसानो के नाम पर ऋण भी निकाल लिया जाता है तथा नाम मात्र का ब्याज वाले इस ऋण का उपयोग धान माफिया अपने निजी काम मे करता है और काम हो जाने पर कई बार ऋण को जमा कर देता है। नही तो चुनावी बरस मे ऋण माफ वाला काम में पूरा ऋण जीरो हो जाता है। वही एक अन्य फर्जीवाड़ा में किसानो के नाम पर खाद और बीज का उठाव दर्शा दिया जाता है और किसानो के नाम पर आने वाला खाद को मार्केट मे ब्लैक मे बेच दिया जाता है। जिसमे किसानो के नाम पर भुगतान माफिया कर देते है और मुनाफा भी माफिया कमा जाते है। ऐसा करके बड़े स्तर पर धान माफिया सारंगढ़ और बरमकेला अंचल मे सक्रिय रहते है।
जिला प्रशासन की अब तक की कार्यवाही?
नवबर 2023 में कुछ सेवा सहकारी समिति मसलन गाताड़ीह, उलखर, कोसीर, बरदुला में किसानो के नाम पर फर्जी भूमि पंजीयन को खुलासा तात्कालिक कलेक्टर डां. फरिहा आलम सिद्धिकी ने किया था किन्तु 2 हजार एकड़ से अधिक के इस फर्जीवाड़ा मे प्रबंधको पर एफआईआर के स्थान पर सिर्फ हटाकर उनको अभयदान दे दिया। माफियाओ ने हरदी हवाई पट्‌टी तक को नही छोड़ा था तथा 102 एकड़ का फर्जी भूमि पंजीयन भी प्रशासन ने पकड़ा। अब किसानो के नाम पर फर्जी ऋण का मामला सामने आया है। ऐसे मे करोड़ो रूपये के इस कारोबार की सूक्ष्म जांच कर कार्यवाही की आवश्यकता महसूस हो रही है। प्रदेश के वित्त मंत्री ओ.पी.चौधरी से धान खरीदी के इस बड़े स्तर के भ्रष्ट्रारियो के काले कारनामा की शिकायत के साथ कार्यवाही के मांग आने वाले समय में हो रही है जिससे धान माफियाओ के हौंसले पस्त हो सकते है।

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