

गोमर्डा अभ्यारण्य के जंगलो में आग लगनी शुरू, बरमकेला अंचल के वनो मे रोज लग रही है आग?
वन विभाग बेखबर, तेंदूपत्ता माफिया लगा रहे है सूखे पत्ते को आग?
आग बुझाने या रोकने के लिये नही हो रहा है जागरूकता अभियान
सारंगढ़,
276 वर्ग किलोमीटर में फैला सारंगढ़-बरमकेला का गोमर्डा अभ्यारण्य में गर्मी के दस्तक के साथ ही वनो मे आग लगने की घटना शुरू हो गई है। इस घटनाओ को रोकने के लिये अभी भी वन विभाग सुस्त नजर आ रहा है तथा किसी भी प्रकार से कोई तैयारी भी शुरू नही किया गया है। ऐसे मे जहा एक ओर वन मंत्री 15 फरवरी से 15 जून तक वनो को अग्नि से बचाने के लिये विशेष निर्देश प्रदान किये है वही सारंगढ़ के गोमर्डा अभ्यारण्य तथा सामान्य वन के अधिकारी-कर्मचारी और आग बुझाने वाली टीम की तैयारी शून्य बटा सन्नाटा है। नये जिले बने सारंगढ़ में डीएफओ की पदस्थापना और अमले के स्थापना नही होने से वन विभाग के अभी मजे ही मजे है।
ताजा मामला सारंगढ़ जिला के बरमकेला अंचल मे वनांचल क्षेत्र का है। बताया जा रहा है कि यहा पर हर वर्ष वनो को अग्नि से बचाने के नाम पर करोड़ो रूपये का फर्जी देयक बनाकर गबन कर दिया जाता है किन्तु फील्ड पर इस संबंध मे कोई पहल नही दिख रही है। इस संबंध में सूत्रो ने दावा किया है कि फरवरी माह से ही वनो मे आग लगाये जाने का खेल शुरू हो गया है। यह खेल को तेंदूपत्ता माफिया कर रहे है। पहले गोमर्डा अभ्यारण्य मे जनवरी माह से ही फायर लाईन का कार्य शुरू कर दिया जाता था तथा सड़क किनारे के जंगलो में सूखे पत्तो को ऐसे स्थान से दूर करके फायर लाईन बनाकर ग़ड्ढ़ा आदि खोदा जाता था जिसमें आग वनो की ओर ना जाये और वनोपज को नुकसान ना हो। इसके लिये बकायदा वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी गांवो मे फायर लाईन को लेकर जागरूकता अभियान चलाते थे तथा इसके लिये लाखो रूपये का बजट भी स्वीकृत होता है। किन्तु इस बार पूरा बजट को कागज में ही खर्च करने के लिये वन विभाग के अधिकारी पूरी प्लानिंग बनाकर तैयार कर चुके है। सूत्रो की माने तो 15 फरवरी से फायर लाईन बनाकर वनो को आग से बचाने के लिये प्रदेश सरकार विशेष अभियान प्रारंभ कर दिया है किन्तु गोमर्डा अभ्यारण्य के बरमकेला वृत्त में ऐसा कुछ भी नही है तथा यहा पर हर दिन वनो में आग लगाया जा रहा है। वही वनांचल के गांव-गांव में ना तो जागरूकता अभियान शुरू किया गया है और ना ही वनो के लिये फायर लाईन का निमार्ण किया गया है। सड़क के किनारे पड़े हुए सूखे पत्तो को भी ऐसा दूर किया जाता है कि यहा पर आग भी लगता है तो वह आग यही तक सिमित रहे। किन्तु इसके लिये पर्याप्त बजट होने के बाद भी गोमर्डा अभ्यारण्य मे मनमानी चरम सीमा पर है। विभिन्न बैरियरो मे कर्मचारी नही है वही कर्मचारियो का गश्त पूरी तरह से बंद पड़ा हुआ है। मैदानी अमले के सुस्ती के कारण से वन माफियाओ के मजे चल रहे है। वन अधिकारी एसी कमरो से बाहर नही निकल रहे है। ऐसे मे वन माफिया वनो में तेदुपत्ता तोड़ाई के नाम पर आग लगा दे रहे है किन्तु वन विभाग इन सभी घटनाओ से बेखबर है। जहा पर दानावल की घटना सर्वाधित होती है वहा पर नये पौधे लगाकर वृक्षारोपण का कार्य करने के नाम पर मोटी राशी आहरण किया जाता है किन्तु कागजो पर ही पेड़ पौधे लगा दिया गया है।
पूर्व वर्षो में सड़क के किनारे पतछड़ से गिरे हुए पत्तो को हटाया जाता था तथा फायर लाईन बनाकर वनो को आग से बचाया किया जाता था। साथ ही आवश्यकतानुसार वन विभाग दैनिक वेतन भोगी अथवा दैनिक मजदूरो का साथ लेती थी तथा वनो को आग से सुरक्षित करती थी किन्तु सारंगढ़ के गोमर्डा अभ्यारण्य मे ऐसा अब कुछ भी नही है तथा वन मे आग लगने की सूचना मिलने के बाद भी अधिकारी-कर्मचारी अपने निवास से निकलकर जंगल की ओर जी ही नही रहे है।
वन क्षेत्रों में अग्नि से सुरक्षा के व्यापक प्रबंध का निर्देश
वनों का अग्नि से बचाव अत्यंत आवश्यक है। इसके मद्देनजर वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन में विभाग द्वारा प्रदेश के वन क्षेत्रों में अग्नि से सुरक्षा हेतु व्यापक प्रबंध करने के निर्देश दिये गये है। इसके तहत आगामी 15 जून 2023 तक वनों को अग्नि से बचाव वन विभाग की प्राथमिकता में है।
वन विभाग द्वारा इसके अंतर्गत प्रधान मुख्य वन संरक्षक कार्यालय अरण्य भवन रायपुर में कन्ट्रोल रूम में टॉल फ्री नम्बर 18002337000 स्थापित किया गया है, जिस पर कोई भी व्यक्ति अग्नि घटनाओं की सूचना दे सकते हैं। इसी तरह समस्त वनमंडलों में भी वनमंडल कार्यालयों में अग्नि सुरक्षा हेतु कन्ट्रोल रूम स्थापित किया गया है, जहां से अग्नि घटनाओं की सतत् निगरानी की जा रही है।
वन विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार अग्नि सीजन 15 फरवरी से प्रारंभ हो गया है तथा 15 जून 2023 तक वनों को अग्नि से बचाना विभाग की प्राथमिकता में है। अग्नि से जहां एक ओर प्राकृतिक पुनरूत्पादन के पौधे नष्ट हो जाते हैं वहीं दूसरी ओर वृक्षों की काष्ठ की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है। अतएव वनों को अग्नि से बचाव अत्यंत आवश्यक है। अग्नि सुरक्षा हेतु समस्त वनमंडलों में अग्नि रेखाओं की कटाई, सफाई, जलाई की जा चुकी है। वन क्षेत्रों में अग्नि से सुरक्षा हेतु कैम्पा मद से समस्त बीटो में एक-एक अग्नि रक्षक की नियुक्ति की गई है। वनों में लगने वाली आग को बुझाने हेतु कर्मचारियों को आधुनिक उपकरण फायर ब्लोअर उपलब्ध कराया गया है।
इसी तरह फारेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (एफसीआई) से फायर एलर्ट रजिस्टर कराए गए हैं। कर्मचारियों के मोबाइल नम्बरों पर एसएमएस के माध्यम से अग्नि घटना स्थल का जीपीएस निर्देशांक सीधे प्राप्त होता है। इस सूचना का उपयोग अग्नि नियंत्रण में प्रभावी रूप से किया जा रहा है। एफएमआईएस अरण्य भवन रायपुर द्वारा भी प्रतिदिन समस्त अधिकारियों, कर्मचारियों को एसएमस के माध्यम से अग्नि घटना स्थल का जीपीएस निर्देशांक सूचित किया जा रहा है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख श्री संजय शुक्ला द्वारा विभाग के समस्त अधिकारियों को अग्नि सुरक्षा हेतु आवश्यक निर्देश दिए गए हैं।
इसके तहत उन्होंने निर्देशित किया है कि समस्त अधिकारी, कर्मचारी एवं वन सुरक्षा समितियां, वन सुरक्षा श्रमिक, लगाये गये अग्नि प्रहरी वनों की अग्नि से सुरक्षा हेतु सतत् रूप से निरंतर सक्रिय रहेंगे। सुरक्षा में लगे अग्नि प्रहरियों तथा सुरक्षा श्रमिको को वनक्षेत्रों में जहां कहीं भी अग्नि या धुंआ दृष्टिगोचर हो तत्परता से वहां पहुंच कर सुलग रही अग्नि को तत्काल बुझाने की कार्यवाही सुनिश्चित करें। वन प्रबंधन समितियों को वनों की अग्नि सुरक्षा में सक्रिय जवाबदारी दी जाये। (फारेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (एफसीआई) देहरादून एवं एफएमआईएस अरण्य भवन रायपुर से प्राप्त अग्नि स्थलो की सूचना के आधार पर तत्काल अग्नि स्थल का निरीक्षण कर आग को बुझाया जाये। आमजनों के बीच वनों की अग्नि से सुरक्षा का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाये। यह ध्यान में रखें कि लोगों की जागरूकता अग्नि सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
किन्तु सारंगढ़ के गोमर्डा अभ्यारण्य में ऐसा कुछ भी नही किया गया है। सारे औपचारिकताएं कागजो पर ही संपन्न हो जा रहा है। इसके कारण से सारंगढ़ का प्रसिद्ध गोमर्डा अभ्यारण्य खतरे मे पड़ जा रहा है। मैदानी कर्मचारियो को सक्रिय करने तथा वनो मे गश्त बढ़ाये जाने के निर्देश से वनो को अग्नि के हवाले करने वाले माफियाओ पर अंकुश लगाया जा सकता है अन्यथा गोमर्डा अभ्यारण्य के जंगल खतरे में पड़ सकते है।