सारंगढ़ का प्रसिद्ध गणतंत्र मेला एवं श्री विष्णु महायज्ञ के आयोजन को लेकर पहल शुरू,
कोरोना काल के दौरान दो साल से बंद था मेला
भू-स्वामित्व संबंधी विवाद से गर्म रहता है सारंगढ़ का गणतंत्र मेला
सारंगढ़,
सारंगढ़ में कोरोनाकाल के कारण से दो वर्षो से बंद पड़ा गणतंत्र मेला के आयोजन को लेकर पहल शुरू हो गई है और आज इस संबंध में चर्चा के लिये शहरवासियो के बीच एक बैठक का आयोजन जवाहर भवन मेला मैदान मे आयोजित किया गया। सारंगढ़-बिलाईगढ़ नये जिला बनने के बाद सारंगढ़ मे आयोजित होने वाले इस गणतंत्र और श्री विष्णु महायज्ञ मेला को लेकर जिला प्रशासन और सारंगढ़ के पहचान पर पूरा मामला टिका हुआ है।
दरअसल सारंगढ़ में आयोजित होने वाले गणतंत्र मेला को लेकर मेला आयोजन समिति और राजपरिवार कुछ वर्षो से आमने सामने हो जा रहे है। जिसके कारण से सामान्य तौर पर अनुमति प्रदान करने वाला प्रशासन के सामने मेला जमीन के स्वामित्व को लेकर सवाल जवाब खड़ा हो जाता है। वही गत दो वर्षो से कोरोना के कारण से मेला का आयोजन नही हो पाया था किन्तु आसन्न वर्ष में फिर से मेला के आयोजन को लेकर जिला प्रशासन के समक्ष अनुमति के लिये मेला समिति पहल करके आवेदन प्रस्तुत कर अनुमति की मांग करेगी। इस संबंध में आज जवाहर भवन मेला प्रांगण में मेला आयोजन को लेकर शहरवासियो की एक बैठक आयोजित किया गया था जिसमे अनुमति हेतु आवेदन दिये जाने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया।
गणतंत्र मेला के आयोजन का इतिहास
सारंगढ़ नगर के निवासियो के लिये सांस्कृतिक और साहित्यिक कला के प्रोत्साहन के लिये पूर्व राजा स्वं. जवाहर सिंह की याद मे जवाहर भवन का निमार्ण किया गया जिसका शिलान्यास मध्यप्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री पं.रविशंकर शुक्ल ने किया था वही इसका उदघाटन देश के राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद ने किया है। वही यहा पर बना हुआ श्री विष्णु महायज्ञ स्थल का शुभारंभ पुरी के शंकराचार्य के हाथो हुआ था। देश मे संविधान लागू होने के बाद 26 जनवरी 1950 को अमर शहीदो की याद मे गणतंत्र मेला का आयोजन गत 73 वर्षो से सुचारू रूप से होते आ रहा है और इस गणतंत्र मेला के साथ श्री विष्णु महायज्ञ का भी आयोजन अनवरत होते आ रहा है। ऐसे मे अब गत दो तीन सालो से मेला का स्थल बदलने का एक बड़ा खेल धीरे धीरे अपने अंजाम की ओर चल रहा है। सरकारी राजस्व रिकार्ड मे गत 5 सालो मे 3 एसडीएम ने अलग-अलग भूमि स्वामी इस जमीन का बताया है। एम.एल.साहू ने इस पूरी जमीन को सरकारी जमीन बताया तो एसडीएम आई.एल.ठाकुर ने इसे पूर्णत: निजी बताया है वही एक और पूर्व एसडीएम ने भी इसे निजी भूमि बताकर भू-स्वामी की सहमति जैसे शब्दो का प्रयोग आदेश मे किया है। किन्तु इस मेला का सफल संचालन के लिये भूतपूर्व राजा स्वं.राजा नरेशचंद्र सिंह के द्वारा 40 हजार वर्गफीट जमीन को लीज डीड के द्वारा मेला समिति बनाकर उसके नाम पर हंस्तारित करने की पहल को प्रशासन जानबूझकर नजरअंदाज कर रहा है। वही जगह छोटा बताकर आगामी वर्षो मे मेला को अन्य स्थान पर स्थानान्तरित किये जाने का पहल स्थानीय प्रशासन के द्वारा किया गया है। देश का एक मात्र गणतंत्र मेला क्या महज मेला ही है? क्या यह क्षेत्र के आस्था से जुड़ा हुआ सवाल नही है? वर्षो तक सरकारी रिकार्ड मे सरकारी भूमि अचानक एक अधिकारी के पदस्थ होने के बाद कैसे निजी हो गया? क्या श्री विष्णु महायज्ञ का यज्ञ स्थल को वहा से हटा दिया जायेगा? क्या यह धार्मिक आस्था के साथ साथ अमर शहीदो की याद मे होने वाला आयोजन के साथ खिलवाड़ नही है? इतने सालो मे प्रशासन यह प्रमाणित नही कर पाया कि यह भूमि किसके स्वामित्व मे है? क्या प्रशासन की भी मंशा मेला का स्थल बदलने को लेकर है? यह सब ऐसे सवाल है जो कि सारंगढ़ की अस्मिता से जुड़े हुए है। सिर्फ एक मेला या मनोरंजन के लिये यहा पर आयेाजन नही होता है बल्कि आयोजन क्षेत्र की आस्था के सम्मान और अपनी विरासत और संस्कृति को सजाकर रखने के लिये यह आयोजन होता है। अन्य स्थान पर मेला का आयोजन सिर्फ मेला बनकर रह जायेगा, श्री विष्णु महायज्ञ के लिये आस्था और अमर शहीदो के सम्मान के साथ प्रथम राष्ट्रपति श्री राजेन्द्र प्रसाद के हाथो शुभारंभ ही हुआ जवाहर भवन ऐसे कई यादे पूरे शहरवासियो की इस मेले से जुड़ी हुई है जिसका अंदाजा ना तो प्रशासनीक अधिकारियो को होना और ना ही अन्य अधिकारियो को होगा। जरूरत है इन आस्था और विरासत को पूर्ण सम्मान देने की, जरूरत है अमर शहीदो की याद मे पूरे देश मे एक मात्र आयोजित होने वाले मेले को संरक्षित करने की, जरूरत है श्री विष्णु महायज्ञ के विशाल यज्ञ मे क्षेत्रवासियो के भावनाओ और उनके विचारो को सम्मान देने की है।