जिला- सारंगढ़ बिलाईगढ़

ग्रीन सस्टेनेबल कंपनी : ओपन खदान के जनसुनवाई का ग्रामीणो ने किया बहिष्कार, प्रशासन ने जनसुनवाई को करना पड़ा निरस्त!

ग्रीन सस्टेनेबल कंपनी : ओपन खदान के जनसुनवाई का ग्रामीणो ने किया बहिष्कार, प्रशासन ने जनसुनवाई को करना पड़ा निरस्त!

ग्रीन सस्टेनेबल कंपनी : ओपन खदान के जनसुनवाई का ग्रामीणो ने किया बहिष्कार, प्रशासन ने जनसुनवाई को करना पड़ा निरस्त!

500 एकड़ में खुलना था चूना पत्थर ओपन खदान,
ग्रामीणों की एकजुटता ने रोकी जनसुनवाई,
कड़ाके की ठंड में रातभर पहरा,
जनसुनवाई में एक भी ग्रामीण नही हुए शामिल
जनसुनवाई स्थल पर रातभर जमकर विरोध,

सारंगढ़ टाईम्स न्यूज/सारंगढ़,
सारंगढ़ के 5 गांवो के 500 एकड़ कृषि भूमि पर खुलने वाला चूना पत्थर ओपन माईंस खदान का आज आयोजित जनसुनवाई का ग्रामीणो ने बहिष्कार कर दिया जिसके चलते प्रशासन ने भी जनसुनवाई को निरस्त करने फरमान जारी कर दिया। इस पर्यावरणीय स्वीकृति के लिये आयोजित जनसुनवाई को लेकर प्रभावित 5 गांवो के निवासियो ने अभूतपूर्व एकता का परिचय दिया और जनसुनवाई स्थल के कुछ दूरी पर पूरा एरिया को घेरकर तगडा घेराबंदी कर दिया। ग्रामीणो के विरोध के उफान को देखते हुए प्रशासन ने जनसुनवाई को निरस्त करने का लिखित में पत्र जारी कर दिया। पर्यावरणीय स्वीकृति के लिये इस जनसुनवाई के निरस्त होने के बाद उम्मीद जताया जा रहा है कि ग्रीन सस्टेनेबल कंपनी ओपन माईंस खदान का अपना प्रस्ताव का बोरिया बिस्तर समेट सकती है।

नवगठित जिले सारंगढ़–बिलाईगढ़ के जिला मुख्यालय सारंगढ़ से करीब 18
किलोमीटर दूर मेसर्स ग्रीन सस्टेनेबल मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड की प्रस्तावित ओपन खदान चूना पत्थर खदान परियोजना को लेकर सोमवार को आयोजित लोक जनसुनवाई में ग्रामीणों का आक्रोश उफान पर दिखाई दिया। ग्राम लालाधुरवा, जोगनीपाली, कपिस्दा, धौराभांठा और आसपास के क्षेत्रों के सैकड़ों ग्रामीण कड़ाके की ठंड में रातभर गांव की सीमाओं पर डटे रहे। वे दो प्रमुख रास्तों पर टोली बनाकर बैठ गए ताकि कोई भी अधिकारी या कंपनी प्रतिनिधि बिना उनकी अनुमति के गांव में प्रवेश न कर सके। महिलाओं, बुजुर्गों और युवाओं ने पूरी रात पहरा
देकर परियोजना के प्रति अपना विरोध जताया। प्रशासन ने जनसुनवाई दोपहर 12 बजे शेड़ निर्माण परिसर के नीचे शुरू की, लेकिन प्रभावित ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से इसका बहिष्कार कर दिया।

वे निर्धारित स्थल से लगभग 200 मीटर की दूरी पर बैठकर नारेबाज़ी और विरोध प्रदर्शन करते रहे। ग्रामीणों का कहना था कि उनकी समस्याओं और आपत्तियों को सुने बिना जनसुनवाई मात्र औपचारिकता साबित हो रही है। स्थल पर सुविधाओं के अभाव ने भी आक्रोश को और बढ़ा दिया। न छांव की व्यवस्था थी और न ही पीने के पानी की। ग्रामीणों ने इसे प्रशासन की लापरवाही बताया और कहा कि इतनी बड़ी जनसुनवाई बिना तैयारी के कैसे आयोजित की गई। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए भारी पुलिस बल तैनात रहा। जनसुनवाई अधिकारी वर्षा बंसल, डिप्टी कलेक्टर प्रकाश सर्वे और पर्यावरण विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी अंकुर साहू मौके पर मौजूद थे, लेकिन ग्रामीण अपनी मांगों पर अड़े रहे। इसी दौरान महिलाओं का समूह अधिकारियों के पास पहुंचा और जनसुनवाई की स्थिति पर जवाब मांगा। अनुविभागीय अधिकारी वर्षा बंसल स्पष्ट जवाब नहीं दे सकीं, जिसके बाद विवाद की स्थिति बन गई। ग्रामीणों के बढ़ते आक्रोश को देखते हुए अंततः प्रशासन को लिखित आश्वासन देना पड़ा,

जिसके बाद माहौल शांत हुआ। ग्रामीणों ने इसे अपनी जीत बताया। ग्रामीणों का कहना है कि यह पूरा इलाका कृषि प्रधान है, जहां सरकारी स्कूल, आवास और विभिन्न योजनाओं की सुविधाएँ चालू हैं। ऐसे क्षेत्र में उद्योग को स्वीकृति कैसे दी गई, यह बड़ा सवाल है। पर्यावरण प्रभाव की दृष्टि से भी यह स्थान संवेदनशील माना जा रहा है, क्योंकि गांव के पास से बहने वाला नाला बरसात में भरकर सीधे महानदी में जाता है। यदि खदान का गंदा पानी इस नाले में मिला, तो वह महानदी को प्रदूषित करेगा, जिसका पानी जल जीवन मिशन के तहत करोड़ों की लागत से घर- घर पहुंचाया जा रहा है। सड़कें पहले से ही जर्जर हैं, ऐसे में खदान के भारी वाहनों से हालात और बिगड़ेंगे। ग्रामीणों का कहना है कि वे अपनी जमीन, खेत, घर और पर्यावरण को किसी कीमत पर खतरे में नहीं पड़ने देंगे। फिलहाल प्रशासन का लिखित आश्वासन ग्रामीणों के पक्ष में तो है, लेकिन अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि आगे क्या फैसला निकलता है।

पर्यावरणीय स्वीकृति के लिये आयोजित था जनसुनवाई

सारंगढ़ के पांच गांवों में शुरू होने वाली लाइमस्टोन माइंस के लिए जनसुनवाई का दोबारा प्रयास गया। ग्रीन सस्टेनेबल एनर्जी के आवेदन पर पर्यावरण विभाग ने पहल 24 सितंबर को जनसुनवाई आयोजित था किन्तु ग्रामीणो के विरोध के कारण से उस दिन स्थगित करना पड़ा। वही आज 17 नवंबर को जनसुनवाई आयोजित की गई किन्तु जबरदस्त विरोध और ग्रामीणो के बहिष्कार के कारण से जनसुनवाई को निरस्त करना पड़ा। ग्रामीणा का कहना है कि जहां-जहां भी लाइमस्टोन और डोलोमाइट हैं, उन गांवों की स्थिति बहुत खराब है। सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले
के गुड़ेली, टिमरलगा, कटंगपाली, साल्हेओना आदि गांव प्रदूषण के बीच में गुजर-बसर कर रहे हैं। अब खनन का विकास सारंगढ़ तहसील के पांच नए गांवों की ओर मुड़ा है।

ग्रीन सस्टेनेबल मैन्युफैक्चरिंग प्रालि भुवनेश्वर ने धौराभाठा, लालाधुरवा,जोगनीपाली, कपिस्दा और सरसरा की 200.902 हे. हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित करने आवेदन किया है। जिसमें 190 हे. किसानों की कृषि भूमि है। करीब 5 हे. शासकीय भूमि और 6 हे. वन भूमि भी है। पांच गांवों की 190 हे. खेतिहर भूमि पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगी। भूअर्जन की प्रक्रिया और मुआवजा दर को लेकर खुलासा नहीं किया गया है। इस खनन प्रोजेक्ट का भारी विरोध किया जा रहा है। प्रतिवर्ष 36.54 लाख टन लाइमस्टोन का उत्पादन किया जाएगा। इसमें करीब 5.54 लाख टन ओबी प्रतिवर्ष निकलेगा। कंपनी को 11 सितंबर 2023 को लेटर ऑफ इंटेन्ट जारी किया गया है।

नलवा स्टील की है कंपनी

ग्रीन सस्टेनेबल मैन्युफैक्चरिंग प्रा.लि. का पंजीयन लाइमस्टोन ब्लॉक नीलामी में भाग लेने के लिए ही किया गया है। कंपनी के डायरेक्टर रायगढ़ निवासी मुकेश डालमिया हैं। इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत करीब 268 करोड़ रुपए आंकी गई है। 200 हे. में खदान के अलावा एक विशाल क्रशिंग प्लांट डाला जाएगा जिसकी क्षमता 700 टन प्रति घंटे होगी। लाइमस्टोन माइंस की जनसुनवाई आज रखी गई थी। लाइमस्टोन उत्पादन के लिए बड़े पैमाने पर ड्रिलिंग कर ब्लास्टिंग की जाएगी। प्राप्त जानकारी के अनुसार धौंराभाठा गांव में 77.204 हेक्टेयर, जोगनीपाली में 26.957 हेक्टेयर, कपिस्दा में 3.546 हेक्टेयर, लालाधुरवा में 65.152 हेक्टेयर
और सरसरा गांव में 16.650 हेक्टेयर कृषि भूमि दर्ज की गई है।

सभी गांवों की भूमि को मिलाकर कुल 189.509 हेक्टेयर कृषि भूमि पाई गई है। पीएम सड़क पर होगा प्रतिदिन 500 भारी वाहनो का रेलमपेल गुड़ेली से अंदर जाते ही पीएमजीएसवाय रोड शुरू हो जाती है। पांचों गांवों में खनन और क्रशिंग के बाद
गिट्टी निकालने के लिए बंजारी होकर रोड का इस्तेमाल किया जाएगा। एक गांव से से दूसरे गांव के बीच संकरी पीएमजीएसवाय सडक़ें हैं। 700 टन प्रति घंटे की क्षमता वाले क्रशर से रोज 200-300 गाड़ी चूना पत्थर परिवहन होगा। ये सारी गाडिय़ां पीएमजीएसवाय की सडक़ों पर दौड़ेंगी। अनुमान लगा सकते हैं कि
सडक़ों और उन पर चलने वाले हजारों ग्रामीणों का क्या होगा। चूना पत्थर खदान जहा खुलना है वहा दो फसली है कृषि भूमि

खेती पर आश्रित इन पांचों गांवों में जितनी भी जमीन है, सभी दो फसली है। कलमा बैराज की वजह से लात नाला में हमेशा पानी रहता है। यहां पंप लगाकर खेतों तक सिंचाई के लिए पाईपलाइन बिछाई गई है। पानी की सहज उपलब्धता के कारण वे दो फसलें लेते हैं। प्रति एकड़ करीब 35 क्विंटल धान की पैदावार होती है।
सारंगढ़ के दूसरे हिस्सों के मुकाबले इन गांवों में दोगुनी उपज है। अभी इन गांवों में प्रति एकड़ 30-40 लाख रुपए का रेट है। इसलिए कोई भी अपनी जमीन नहीं छोडऩा चाहता। कलेक्टोरेट का घेराव कर अपना विरोध बता चुके थे ग्रामीण
मेसर्स ग्रीन सस्टेनेबल मैन्युफैक्चरिंग प्रा. लि. की प्रस्तावित जनसुनवाई के विरोध में बीते गुरुवार को जिलेभर में उबाल देखने को मिला। हजारों की संख्या में ग्रामीण तख्तियां और बैनर लेकर सड़कों पर उतरे और कलेक्ट्रेट पहुंचकर प्रशासन के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया था।

इस आंदोलन की सबसे बड़ी खासियत यह रही कि इसकी अगुवाई बड़ी संख्या में शामिल महिलाओं ने की। महिलाओं ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि सरकार ने जबरदस्ती जनसुनवाई आयोजित की, तो आंदोलन और उग्र रूप ले लेगा। उनका कहना था कि कंपनी को गांव में किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा। ग्रामीणों ने प्रशासन पर कंपनी को अंदरूनी संरक्षण देने और जनहित की अनदेखी करने के आरोप भी लगाए। पुलिस ने भीड़ को रोकने के लिए बैरिकेड तैनात किए थे, लेकिन आक्रोशित ग्रामीणों ने उन्हें पार कर कलेक्ट्रेट परिसर में पहुंचकर घेराव कर दिया। बाद में ग्रामीणों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर प्रस्तावित जनसुनवाई को तत्काल स्थगित करने के साथ-साथ पूर्णतः निरस्त करने की मांग रखी थी। ग्रामीणों ने आशंका जताई कि यदि यह उद्योग स्थापित हुआ, तो आसपास की भूमि, जल स्रोत और वायु गंभीर रूप से प्रदूषित हो जाएंगे, जिसका सीधा दुष्प्रभाव स्थानीय जनजीवन, खेती-किसानी और पर्यावरण पर
पड़ेगा।

टीबी मरीजों की संख्या से ग्रामीण सहमे

उधर टिमरलगा और गुडेली खदान क्षेत्रों में स्वास्थ्य संकट गहराता जा रहा है। ग्रामीणों के अनुसार खदानों से उठने वाली धूल और लगातार बढ़ रहा प्रदूषण स्थानीय लोगों के लिए गंभीर खतरा बन चुका है। सांस संबंधी बीमारियों के मामलों में तेज बढ़ोतरी हुई है और कई परिवारों में नए टीबी मरीज सामने आ रहे हैं, जिससे ग्रामीणों में भय और असुरक्षा का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि खदान क्षेत्रों में स्वास्थ्य जांच, प्रदूषण नियंत्रण और सुरक्षा उपायों की अत्यंत कमी है। यदि हालात ऐसे ही बने रहे, तो आने वाले समय में स्थिति और भी विकराल हो सकती है।

ग्रामीणों के धरने के बाद जनसुनवाई स्थगित

खदान के लिए आज जनसुनवाई होना था। जिसका ग्रामीणों ने विरोध किया। मौके पर पुलिस बल की भी तैनाती रही। भारी विरोध के बाद एसडीएम ने लिखित में सुनवाई निरस्त होने की जानकारी दी, जिसके बाद ग्रामीण धरने से हट गए। धौराभांठा, सरसरा, जोगनीपाली, कपीसदा ब, लालाधुरवा गांव की महिलाएं अपने छोटे बच्चों के साथ और बुजुर्ग भी धरना प्रदर्शन में शामिल थे। अनुविभागीय अधिकारी राजस्व (एसडीएम) वर्षा बंसल ने ग्रामीणों को जनसुनवाई निरस्त होने की लिखित जानकारी दी।

 

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