रकबा के फर्जीवाड़ा से शुरू होकर रबी की फसल को भरपाई करने तक होता है बड़ा खेल?
समिति प्रबंधक, फड़ प्रभारी से लेकर धान कोचियो का रहता है दबदबा?
दर्जन भर समितियो में हर साल करोड़ो रूपये का वारा-न्यारा?
अभी से शुरू हो गया है उड़ीसा से धान की आवक?
सराईपाली क्षेत्र में चेक-पोस्ट जरूरी,
सारंगढ़,
पूरे प्रदेश में धान खरीदी मे सबसे ज्यादा उपज का पैदावार करने और सहकारी समितियो के माध्यम से सर्वाधिक मात्रा मे खरीदी करने के मामले मे नवगठ़ित सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला टॉप पर रहने वाला है। किन्तु सारंगढ़ अंचल मे भ्रष्ट्राचार और कमीशनखोरी इस बड़े खेल मे किसानो का शोषण करने वाले और व्यापारियो का माल खपाने में समिति प्रबंधक से लेकर फड़ प्रभारी तक एक चेन बना हुआ है जिसको तोड़ना नवीन जिला सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला में जिला प्रशासन के लिये एक चुनौती के रूप मे सामने होगा। अब देखना है कि जिला बनने के बाद प्रशासन इस फर्जीवाड़ा पर लगाम लगा पायेगी अथवा धान माफिया इस पर भारी पड़ेगे।
सारंगढ़ अंचल में धान खरीदी में फर्जीवाड़ा और करोड़ो रूपये की अफरा-तफरी कोई नई बात नही है। सहकारी समितियो के माध्यम से किया जाने वाला धान की खरीदी में बड़ा खेल सारंगढ़ अंचल मे होता है। पहले रायगढ़ जिले के अर्न्तगत आने वाला सारंगढ़ अंचल की धान खरीदी मे कोई भी वर्ष ऐसा नही था जब किसी समिति मे करोड़ो रूपये के फर्जीवाड़ा को लेकर एफआईआर दर्ज नही हुआ हो और आधा दर्जन से कम समिति भी नही होती थी जहा पर धान कमी करोड़ रूपये तक होती थी। किन्तु अब नया जिला बन जाने के बाद रायगढ़ जिला प्रशासन इस वर्ष राहत की सांस ले रहा है क्योकि खरीदी के नाम से बदनाम सारंगढ़ और बरमकेला अंचल की सहकारी समितियां अब नये जिले सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले मे चली गई है। वही सारंगढ़-बरमकेला तहसील के साथ अब बिलाईगढ़ अनुविभाग की सहकारी समितियां भी जुड़ गई है। ऐसे मे धान की सर्वाधिक उपज और धान की सर्वाधिक खरीदी का रिकार्ड सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के नाम पर इस वर्ष होने वाला है? किन्तु क्या वास्तव में सारंगढ़-बरमकेला-बिलाईगढ़ अंचल में सहकारी समितियो मे होने वाले धान की खरीदी को पूर्ण रूप से वास्तविक किसानो से ही होता है? अथवा इस खरीदी के महाअभियान मे बड़े चेहरे से लेकर छोटे चेहरे तक सभी लाल हो रहे है? ऐसे कई सवाल है जिसके जवाब मिलने भर से जिला प्रशासन के माथे पर पसीना निकलना शुरू हो जायेगा। सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के धान खरीदी में सबसे बड़ा खेल रकबा के पंजीयन से शुरू होता है। सारंगढ़ अंचल के लगभग 50 गांव महानदी से तटीय क्षेत्र मे विराजमान है तथा महानदी मे बना बैराज और पूर्व से बना उड़ीसा के बांध में डूबान क्षेत्र मे आने के बाद भी सैकड़ो किसानो के नाम पर खेती की भूमि आज भी उनके नाम पर दर्ज है तथा धान खरीदी के पंजीयन में आज भी किसानो के नाम पर यह जमीन खेती के रूप में गिरादावरी के समय मे भी दर्ज किया गया है। वही बड़े चेहरो के नाम पर दर्ज भूमियो के रकबा में भारी अंतर देखने को साफ तौर पर मिल सकता है। जिनके नाम पर वास्तविक में 90 डिसमिल भूमि है यहा धान बेचने के साफ्टवेयर मे 9 एकड़ दर्ज है। ऐसे कुछ बदनाम सहकारी समितियो में बड़े लेबल पर खेल होता है। ऐसा नही है कि राजस्व विभाग के करिेंदो को इस बड़ा खेल के बारे मे जानकारी नही है राजस्व विभाग के मैदानी अमले को पूरी कहानी और कहानी के सूत्रधार आदि के बारे मे सभी पता है किन्तु बराबर का हिस्सेदारी और धान खरीदी मे पूरी ईमानदारी के साथ बंटवारा के कारण से संबंधित विभाग चुप्पी साधे हुए है। धान खरीदी के इस बड़े खेल में किसानो की जमीन का पंजीयन का खेल मे ऐसे किसानो के नाम पर फर्जी रूप से जमीन दर्शाया जाता है जिनके नाम पर भूमि की उपलब्धता शून्य है। वही जमीन का पंजीयन का बड़ा खेल होने के बाद कई समितियो के द्वारा फर्जी रूप से किया जाने वाला धान की खरीदी है। सूत्रो की माने तो गत वर्षो में बिना धान लाये लगभग 200 से अधिक किसानो के नाम पर धान की खरीदी को दर्शाया गया था। जिसके कारण से जब धान का उठाव किया गया तो समितियो मे लगभग धान की खरीदी और धान का उठाव के मे दो से पांच करोड़ रूपये के धान का अंतर आया और आधा दर्जन से अधिक धान खरीदी करने वाले समितियो को धान के अंतर के खिलाफ एफआईआर तक करने का तैयारी कर लिया गया था किन्तु उच्च स्तरीय आदेश के बाद बचत धान को कमी पूरा करने का निर्देश समितियो को प्रदान किया गया जिसके कारण से डलवा फसल के धान को औने-पौने मे खरीद कर हुई कमी को पूरा कर दिया गया। अर्थात जो धान आया ही नही उसको खरीदी दर्शा दिया गया और फिर डलवा फसल को 1100 रूपये क्विंटल में खरीदकर उसे कमी पूर्ति मे उपयोग कर लिया गया और बदले मे 2400 रूपये का भाव प्राप्त भी कर लिया गया। अर्थात प्रति क्विंटल 1300 रूपये का खेल कई समितियो मे बड़े स्तर पर खेल दिया गया। सूत्रो की माने तो धान खरीदी के बड़े खेल मे लगभग 50 करोड़ रूपये से 100 करोड़ रूपये का बड़ा खेल खरीदी करने वाले बड़े चेहरे अब तक करते आ रहे थे। गत वर्ष धान खरीदी में आधा दर्जन समितियो मे शार्टेज के लिये जो पत्र जारी किया गया था उसमें लगभग 20 करोड़ रूपये के धान का शार्टेज बताया गया था ऐसे मे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सारंगढ़ अंचल में ही 20 करोड़ की बड़ी राशी का धान का शार्टेज निकल रहा है तो सारंगढ़ विकासखंड़, बरमकेला विकासखंड और बिलाईगढ़ विकासखंड़ में कितनी राशी का शार्टेज का बड़ा खेल अब तक हुआ है। वही दूसरी ओर धान खरीदी के लिये केन्द्र पहुंचे किसानो के साथ उगाही का बड़ा खेल खरीदी केन्द्रो में होता आ रहा है। 40 किलो प्रति बोरा में भराई और तौलाई को 42 से 43 किलो तक करने के लिये लगभग हर सोसायटी मनमानी करने में उतारू रहते है। वही अधिक वजन लेने का विरोध करने पर धान की मात्रा मे नमी ज्यादा होने का बहाना करके विरोध करने वालो का आवाज को वही पर दबा दिया जाता है। इसी प्रकार से तौलाई करने के समय किसानो से हमालो के द्वारा अवैध रूप से उगाही किया जाता है। एक अनुमान के अनुसार प्रतिबोरा तौलाई का राशी किसानो से हमालो के द्वारा अलग से लिया जाता है जबकि शासन के द्वारा तौलाई के लिये हमालो को राशी देने का प्रावधान किया गया है फिर भी समिति प्रबंधको के संरक्षण में हमालो के द्वारा धान के तौलाई के नाम पर मोटी राशी उगाही किया जाता है जिसमे समिति के बडे चेहरो का हिस्सा फिक्स रहता है। वही बारदाने के नाम पर चढ़ावा की परंपरा यहा पर नियम का स्वरूप धारण कर चुकी है। ऐसे मे सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला का धान खरीदी केन्द्र भ्रष्ट्राचार का बड़ा केन्द्र बना हुआ है जिसमें छोटे से लेकर बड़े स्तर के अधिकारी-कर्मचारी अपने फिक्स हिस्से के लिये किसानो का शोषण करना नही छोड़ते है।
उड़ीसा से धान की आवक शुरू?
सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के सीमाओ में बड़ा हिस्सा उड़ीसा राज्य से जुड़ा हुआ है। बरमकेला विकासखंड़ के बड़े हिस्से से उड़ीसा की सीमा लगी हुई है। मुख्य मार्ग के अलावा लगभग दर्जनभर से अधिक ऐसे मार्ग है जिससे उड़ीसा से धान की आवक आसानी से हो सकती है। सीमावर्ती क्षेत्र के धान खरीदी केन्द्र और सीमावर्ती क्षेत्र के धान के बड़े व्यापारी अभी से बड़े स्तर पर धान को डंप करके रखने के काम में जुट गये है। बताया जा रहा है कि समिति में पंजीकृत किसानो और उनके रकबा का पूरा खेल यही बड़े व्यापारी किये रहते है तथा किसानो का उपज का पूरा धान बेचने के बाद बढ़ाया गया रकबा के नाम से उड़ीसा का धान का यहा पर खपाया जाता है। सूत्रो की माने तो बरमकेला अंचल मे उड़ीसा के धान का बड़ा खेल धान खरीदी के दौरान खेला जाता है और इस वर्ष भी इसकी तैयारी पूरी तरह से करके रखा गया है। इस मामले में सरकारी करिंदो को पूरा जानकारी होने के बाद भी कार्यवाही के स्थान पर छापामार कार्यवाही की सूचना लीक करने का काम सूक्ष्म स्तर पर किया जाता है।
सालर क्षेत्र मे बड़ा खेल धान का?
नवगठ़ित सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले का सीमावर्ती क्षेत्र सालर-कनकबीरा क्षेत्र की सीमा सराईपाली तहसील से लगी हुई है तथा महासमुंद जिले के साथ साथ उड़ीसा के संपर्क में रहती है। चूंकि इस क्षेत्र मे एक भी चेक-पोस्ट धान खरीदी के समय नही लगाया जाता है इस कारण से बड़े स्तर पर उड़ीसा होकर सराईपाली के क्षेत्र से सारंगढ़ अंचल में धान की बंपर आवक हो रही है। बताया जा रहा है कि देर रात 1 से 2 बजे के बीच सालर अंचल मे उड़ीसा से रोज दो से तीन ट्रक धान की आपूर्ति हो रही है जो बाद मे किसानो का धान के नाम पर समिति मे खप जा रही है। कनकबीरा के अंतिम छोर पर स्थित कलगीडीपा गांव मे चेक-पोस्ट बैरियर लगाये जाने पर और बड़े गोदामो पर नजर रखने भर से बड़े स्तर का खेल का पर्दाफाश हो सकता है। सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार सालर क्षेत्र मे ही लगभग 10 करोड़ रूपये से अधिक का धान का बड़ा खेल उड़ीसा से औन-पौने दाम पर खरीदकर लाये गये धान के खेल मे हो जाता है।
उड़ीसा और रबी फसल का धान औने-पौने दर पर?
सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार उड़ीसा में धान का सर्मथन मूल्य कम होने से वहा पर धान की कीमत काफी कम होती है। वही रबी फसल का डलवा फसल की अच्छी पैदावार होने से महज 1100 रूपये प्रति क्विंटल के दर से खरीदी किया गया धान को खरीफ के समय धान खरीदी के लिये खपाया जाता है। बताया जा रहा है कि उड़ीसा की धान को खपाने के पीछे खरीदने वाली समिति के प्रबंधक से लेकर फड़ प्रभारी और हमालो को अपना-अपना फिक्स हिस्सा का बंटवारा ईमानदारी से मिलता है इस कारण से गुपचुप ढ़ंग से होने वाले इस बड़े खेल मे कोई भी अपना मुंह नही खोलता है। वही सारंगढ़ अंचल मे भी एक बडे क्षेत्र मे रबी के समय फसल लगाया जाता है जो कि अभी खरीफ के फसल के समय कमी पूर्ति करने के काम आता है। इस प्रकार से धान की खरीदी मे बड़ा खेल यहा पर खेला जाता है।