जिला- सारंगढ़ बिलाईगढ़

शासकीय आयोजन में उपेक्षा से आक्रोशित विधायक कविता प्राण लहरे जिला प्रशासन पर जमकर बिफरी!

शासकीय आयोजन में उपेक्षा से आक्रोशित विधायक कविता प्राण लहरे जिला प्रशासन पर जमकर बिफरी!

शासकीय आयोजन में उपेक्षा से आक्रोशित विधायक कविता प्राण लहरे जिला प्रशासन पर जमकर बिफरी!

शाला प्रवेशोत्सव में आमंत्रण पत्र मे नाम नही होने से छलक
पड़ा दर्द,
कलेक्टर के सामने ही बिफर पड़ी विधायक कविता प्राण लहरे,

सारंगढ़ टाईम्स न्यूज/सारंगढ़,
सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के बिलाईगढ़ विधानसभा के विधायक श्रीमती कविता प्राण लहरे शाला प्रवेशोत्सव और वृक्षारोपण के शासकीय आयोजन में उनका नाम आमंत्रण पत्र में नही होने और प्रोटोकाल का पालन नही करने पर बिफर पड़ी। कलेक्टर की उपस्थिति में प्रशासन को खरी-खोटी सुनाते हुए जनप्रतिनिधियो का सम्मान नही करने पर प्रशासनीक अधिकारियो को आड़े हाथो लेते हुए जमकर भड़ास निकाली। विधायक के इस तेवर से
प्रशासनीक अधिकारी भी बगले झांकते दिखे। दरसअल सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सरसीवां में शाला प्रवेश उत्सव और वृक्षारोपण
कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

जिसके लिये वितरित किया गया आमंत्रण पत्र में बिलाईगढ़ विधायक श्रीमती कविता प्राण लहरे का नाम का उल्लेख नही था। इसी दौरान बिलाईगढ़ विधायक कविता प्राण लहरे ने मंच से ही अपने नाम का आमंत्रण पत्र में उल्लेख न होने पर तीखी आपत्ति जताते हुए आक्रोशित नजर आईं है। विधायक कविता प्राण लहरे ने कहा कि, यह न सिर्फ एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि की उपेक्षा है, बल्कि यह पूरे क्षेत्र की जनता और उनके दिए गए जनादेश का भी अपमान है। उन्होंने सवाल उठाया कि, जब मैं इस क्षेत्र की विधायक हूं, जनता ने मुझे चुना है, फिर भी शासकीय शिक्षा विभाग के आमंत्रण में मेरा नाम क्यों नहीं जोड़ा गया? क्या जनप्रतिनिधियों का अब कोई सम्मान नहीं बचा?

बार-बार उपेक्षा सीधे तौर पर अपमान?

इस कार्यक्रम में उपस्थित जिला कलेक्टर डॉ. संजय कन्नौज के समक्ष उन्होंने ने कहा कि, जनप्रतिनिधियों की भूमिका को नजरअंदाज करना लोकतांत्रिक मर्यादाओं और प्रशासनिक प्रोटोकॉल का उल्लंघन है। बार-बार उपेक्षा कर एक विधायक की शिक्षा विभाग द्वारा अपमानित करने का काम कर रहे है। यह जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति केवल औपचारिकता नहीं होती, बल्कि यह जनता कीभागीदारी और लोकतंत्र की गरिमा का प्रतीक होती है। उन्होंने शिक्षा विभाग और आयोजक अधिकारियों से ऐसी गलती होने पर सवाल उठाई है और कहा कि, लोकतांत्रिक परंपराओं का सम्मान सुनिश्चित किया जाए।

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