जिला- सारंगढ़ बिलाईगढ़

सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला : एसीबी ने दो पुलिसकर्मी को 10 हजार रूपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा!

सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला : एसीबी ने दो पुलिसकर्मी को 10 हजार रूपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा!

सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला : एसीबी ने दो पुलिसकर्मी को 10 हजार रूपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा!

सरसीवां पुलिस थाना में पदस्थ प्रधान आरक्षक और आरक्षक सपड़ाये,
एन्टी करप्शन ब्यूरो की जिले मे छापामार कार्यवाही
पुलिस की वर्दी पर लगा दाग,
सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले मे पुलिस हुई बेलगाम,
वर्षो से जिले के पुलिस थाना में पदस्थ है स्थानीय पुलिसकर्मी,

सारंगढ़ टाईम्स न्यूज/सारंगढ़,
सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के पुलिस की वर्दी उस समय दागदार हो गई जब एन्टी करप्शन ब्यूरो की टीम ने सरसीवां पुलिस थाना में पदस्थ दो पुलिसकर्मियो को 10 हजार रूपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। एसीबी की इस कार्यवाही से जिले मे हड़कंप मच गया। ग्राम गिरसा के एक पिता द्वारा अपने पुत्र के खिलाफ दिया गया मारपीट के शिकायत को रफा-दफा करने के लिये सरसीवां पुलिस के प्रधान आरक्षक सुमत डहरिया और आरक्षक कमल किशोर ने 18 हजार रूपये की मांग किया था। जिसकी शिकायत महेन्द्र साहू ने एसीबी मे किया था जिस पर आज 10 हजार रूपये देते समय रंगे हाथ पकड़ने की कार्यवाही हुई है।

इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला में पुलिसकर्मियो के बेलगाम होने की लगातार आ रही शिकायतो के बीच आज एन्टी करप्शन ब्यूरो ने आज सरसीवां थाना में पदस्थ प्रधान आरक्षक सुमत डहरिया और कमल किशोर को 10 हजार रूपये के रिश्वत लेते हुए रंगे हाथो गिरफ्तार कर लिया। मामले में मिली जानकारी के अनुसार शिकायतकर्ता महेंद्र साहू, ग्राम गिरसा निवासी, ने एसीबी बिलासपुर में शिकायत दर्ज कराई थी कि उसके और उसके पिता के बीच हुए पारिवारिक विवाद के मामले में प्रधान आरक्षक सुमत डहरिया और आरक्षक कमल किशोर ने समझौता कराने के एवज में 18,000 रुपये की रिश्वत मांगी थी। शिकायत के अनुसार, आरोपियों ने पहले ही 1,500 रुपये पेटीएम के माध्यम से और 5,000 रुपये नगद वसूल लिए थे, लेकिन शेष 12,500 रुपये के लिए लगातार दबाव बना रहे थे। महेंद्र साहू रिश्वत देने के बजाय उन्हें रंगे हाथों पकड़वाना चाहता था, जिसके चलते उसने एसीबी से संपर्क किया। एसीबी ने मामले का सत्यापन करने के बाद आज ट्रैप योजना बनाई। जैसे ही प्रधान आरक्षक सुमत डहरिया और आरक्षक कमल किशोर ने महेंद्र से बची हुई 10,000 रुपये की रकम ली, एसीबी की टीम ने उन्हें रंगे हाथों पकड़ लिया। दोनों पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार कर लिया गया और उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। एसीबी ने उक्त मामला में धारा 7 पीसी एक्ट 1988 के तहत कार्रवाई करते हुए दोनो पुलिसकर्मियो को गिरफ्तार कर लिया है।

इस कार्रवाई से पुलिस विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर प्रशासन की गंभीरता उजागर होती है। एसीबी की इस कार्रवाई के बाद क्षेत्र में अन्य पीड़ितों को भी भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने का हौसला मिलेगा। मामले की आगे जांच जारी है, और आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा रही है।

पेटीएम से लिये 1500 रूपये?

सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले मे पुलिसकर्मी किस प्रकार से अवैध उगाही और रिश्वतखोरी को लेकर बेलगाम हो गये है कि आनलाईन भुगतान लेने मे भी कोई कोताही नही बरत रहे है। सरसीवां थाना के प्रधान आरक्षक सुमत डहरिया और कृष्ण कुमार महिलांगे ने महेन्द्र साहू ने 1500 रूपये आनलाईन पेटीएम के माध्यम से भुगतान लिया फिर 5 हजार रूपये नगद लिये और 18 हजार रूपये के लेन-देन मे शेष बचे 12500 मे से आज 10 हजार रूपये नगद ले रहे थे। जिसमे दोनो रंगे हाथ पकड़ा गये।

वर्षो से पदस्थ है स्थानीय पुलिसकर्मी?

इस संबंध मे मिली जानकारी के अनुसार 1 सितंबर 2022 को सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला का गठन हुआ और पुलिस विभाग मे अधिकारी-कर्मचारियो की नये जिले के अनुसार पदस्थापना हुई किन्तु पूर्ववर्ती जिला रायगढ़ और बलौदाबाजार के नाम पर कई वर्षो से कई पुलिसकर्मी आज भी सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के पुलिस थानो में पदस्थ है। इसमे से कई स्थानीय जिले सारंगढ़- बिलाईगढ़ के ही निवासी अधिकारी-कर्मचारी है। ऐसे मे इनका अधिकांश मामलो मे दखलअंदाजी की शिकायते छन-छनकर सामने आ रही है किन्तु ना तो स्थानान्तरण किया जा रहा है और ना ही इनके मनमानी पर कोई लगाम लगाया जा रहा है। सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के कई स्थानीय निवासी पुलिसकर्मी पुलिस थाना का भी कमान सम्हाल रहे है। और प्रधान आरक्षक और आरक्षक के चेहरे मे कई स्थानीय निवासी है। ऐसे मे कानून और व्यवस्था मे वो चुस्ती नही दिख रही है जो नये जिले मे होनी चाहिये। गिरसा गांव के ही आरक्षक कमल किशोर महिलांगे निवासी है तथा उसी गांव का मामला सामने आया था और कमल किशोर ही इस मामले में निपटाने मे लगा हुआ था। ऐसे में संबंधित थाना में उसी थाना क्षेत्र का स्थानीय निवासी का आरक्षक के रूप में पदस्थापना होना और पंचायत चुनाव के समय कानून और व्यवस्था बनाने की जवाबदारी उन्ही लोगो को देने पर सवाल तो खड़े होगे ही।

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