ट्रेनों में स्वदेशी ‘कवच’ तकनीक से हादसों पर लगेगा ब्रेक,614 रूट किलोमीटर लंबी है यह परियोजना
यह परियोजना यात्रियों और रेलवे कर्मचारियों की सुरक्षा को एक नई ऊंचाई प्रदान करेगी। इस परियोजना में हाई डेंसिटी नेटवर्क के साथ-साथ लो डेंसिटी नेटवर्क के लिए भी कवच तकनीक लागू करने की योजना है। लो डेंसिटी नेटवर्क में 1563 रूट किलोमीटर क्षेत्र को कवर किया जाएगा। कवच प्रणाली लागू करने हेतु विस्तृत इस्टीमेट को भी स्वीकृति प्रदान की गई है।
बिलासपुर। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के नागपुर-झारसुगुड़ा रेलखंड पर स्वदेशी कवच सुरक्षा तकनीक लागू करने की तैयारी है। 614 रूट किलोमीटर लंबी इस परियोजना के लिए 292 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इस परियोजना से यात्रियों और रेलवे कर्मचारियों की सुरक्षा को एक नई ऊंचाई मिलेगी। यह पूरी तरह से एक स्वदेशी तकनीक होगी। भारतीय रेलवे संरक्षा और कुशलता को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयासरत है। इसी दिशा में एक और कदम बढ़ाया है। इसके लिए निविदा आमंत्रित किया गया है, जिसे 25 नवंबर को खोला जाएगा।
क्या है कवच तकनीक
सिकंदराबाद में सफल परीक्षण
यह होंगे प्रमुख लाभ
- ट्रेन संचालन की पूर्ण सुरक्षा।
- सिग्नल व स्पीड से संबंधित दुर्घटनाओं पर रोक।
- यात्रियों और कर्मचारियों की संरक्षा में सुधार।
- स्वदेशी तकनीक के जरिए रेलवे को आत्मनिर्भर बनाना।