सारंगढ़ विधानसभा में “सर्वसम्मति” और “प्रभावी चेहरे” की तलाश में भाजपा?
विधानसभा टिकट के लिये दर्जनभर दावेदार लेकिन कार्यकर्ताओ पर नही छोड़ पा रहे है अपना विशेष प्रभाव?
भाजपा को विधानसभा में जीत की उम्मीद कांग्रेस के गुटबाजी पर टिकी !
4 साल तक सुस्त रहे पार्टी को अपने पदाधिकारियो को एकाएक सक्रिय करने मे बहाना पड़ रहा है पसीना?
सारंगढ़,
छत्तीसगढ़ में 7 माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में सारंगढ़ विधानसभा सीट प्रदेश के विपक्षी दल भाजपा के लिये उम्मीदवार चयन टेड़ी खीर के रूप मे सामने आने वाला है। लोकसभा चुनाव के बाद से सत्ताधारी दल के सामने घुटने टेक देने वाली विपक्षी पार्टी भाजपा के लिये विधानसभा चुनाव में सर्वसम्मति और प्रभावी चेहरे की तलाश अभी खत्म नही हुई है। हालांकि सारंगढ़ विधानसभा सीट से भाजपा की टिकट के लिये दर्जन भर से अधिक दावेदार अपनी लाबिंग शुरू कर दिये है किन्तु भाजपा के लिये सर्वे करने वाली एजेंसियो को यहा अभी तक कोई प्रभावी चेहरा नही मिल रहा है जो मतदाताओ के बीच भाजपा की जीत सुनिश्चित करें।
लगातार 15 वर्षो तक प्रदेश की सत्ता मे रहने वाली भाजपा सारंगढ़ अंचल में इन दिनो सुस्त अवस्था मे चल रही है। गत विधानसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार श्रीमती केराबाई मनहर का 52 हजार से अधिक मतो से हारने के बाद लोकसभा चुनाव मे भाजपा को मोदी लहर का साथ मिला और सांसद गोमती साय सारंगढ़ विधानसभा सीट मे भी बढ़त रखते हुए शानदार विजय हासिल किया था। किन्तु इसके बाद से भाजपा संगठन सत्ताधारी दल कांग्रेस के सामने सरेंड़र की स्थिति में आ गया। लोकसभा चुनाव के बाद हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में पांच जनपद सदस्य के चुनाव में भाजपा ने अपने सर्मथित उम्मीदवार तक नही उतारे और कांग्रेस सर्मथक उम्मीदवारो को वाक ओव्हर प्रदान कर दिया। वही उसके बाद हुए नगर पालिका चुनाव में भी भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया। वही इस बीच में वर्षो पुरानी सारंगढ़ जिला की मांग को पूरा करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भाजपा को बैकफुट पर डाल दिया। इस सुस्त अवस्था के कारण से भाजपा को सारंगढ़ विधानसभा सीट पर 6 माह बाद होने वाले चुनावो के लिये जी-तोड़ मेहनत के साथ साथ कार्यकर्ताओ मे उत्साह का संचार भी करना होगा किन्तु अभी तक की स्थिति में भाजपा मे सक्रियता सिर्फ औपचारिकता के मुहर तक ही सिमित है। सूत्रो की माने तो सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला का निमार्ण होने के बाद भाजपा ने यहा पर अपने संगठनात्मक गतिविधियो को गति देने के लिये जिला भाजपा संगठन गठित करते हुए सभी मोर्चा प्रकोष्ठो में भी पदाधिकारियो की नियुक्ति कर दिया है किन्तु सबसे बड़ी समस्या कार्यकर्ताओ मे उत्साह का संचार पैदा करना है जो कि भाजपा के पदाधिकारी अभी तक नही कर पाये है। विधानसभा चुनाव मे करारी पराजय तथा उसके बाद के होने वाले स्थानीय चुनाव में सत्ताधारी कांग्रेस के समक्ष हथियार डाल चुके बड़े नेताओ को ही कार्यकर्ताओ को सक्रिय करने का काम प्रदान किये जाने से औपचारिक रूप से भाजपा कागज पर सक्रिय दिख रही है किन्तु वास्तविक में उत्साह का अभाव मे भाजपा संकट की स्थिति मे दिख रही है। सारंगढ़ विधानसभा चुनाव के लिये भाजपा से टिकट के लिये दर्जन भर से अधिक नेता और नेत्री अपना दावा करते हुए लांबिंग करना शुरू कर दिया है किन्तु भाजपा कार्यकर्ताओ के बीच होने वाली चर्चा में यह बात छनकर सामने आ रही है कि कोई सर्वसम्मति और प्रभावी चेहरा पार्टी के पास नही है। भाजपा के कुछ पदाधिकारियो से चर्चा करने पर उन्होने साफ बताया कि सत्ता जाने के बाद विधानसभा टिकट के दावेदार भी भाजपा कार्यकर्ताओ और आम जनता के लिये किसी भी प्रकार से सक्रिय नही रहे जिसके कारण से अब उन पर भरपूर विश्वास नही हो रहा है। भाजपा के वर्तमान टिकट दावेदारो के नामो को लेकर भाजपा कार्यकर्ताओ मे किसी भी तरह से एक राय होते प्रारंभिक रूप से नही दिख रहा है और सबसे बड़ी समस्या टिकट के दावेदारो का प्रभावी चेहरा नही होना है।
उम्मीदवार के स्थान पर भाजपा बूथो पर कर रही है ध्यान केन्द्रित
इस संबंध मे भाजपा के एक बड़े पदाधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि सारंगढ़ विधानसभा मे पार्टी की स्थिति किसी से छिपी नही है इस कारण से प्रभावी चेहरे और सर्वसम्मति वाले चेहरे जैसे समीकरण मे ध्यान नही लगाकर भाजपा संगठन अभी अपनी उर्जा बूथ सशक्तिकरण मे लगा दिया है। भाजपा संगठन को विधानसभा चुनावो के लिये बूथो को विस्तार करने और बूथो पर पन्ना प्रमुखो की नियुक्ति करने से लेकर विधानसभा तथा उसके 6 माह बाद होने वाले लोकसभा चुनाव के लिये बूथ कमेटियो को मजबूत करने पर जोर दे रही है। भाजपा के कई पदाधिकारियो की माने तो उम्मीदवारो का चयन के लिये भाजपा सर्वे का सहारा लेगी तथा सारंगढ़ विधानसभा सीट से सर्वे में दिया गया नाम और कार्यकर्ताओ की रायशुमारी में निकला नाम एक होगा तो ज्यादा दिक्कत नही करते हुए भाजपा अपना उम्मीदवार तय कर सकती है।
कांग्रेस के सत्ता के सामने भाजपा टिकटार्थीयो का संघर्ष शून्य?
सारंगढ़ विधानसभा सीट पर भाजपा के कई कार्यकर्ताओ से उत्साह का संचार नही होने के सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश में जो बात छनकर सामने आ रही है उसमें कांग्रेस की सत्ताधारी दल का सामना करना प्रमुख रूप से सामने आ रहा है। भाजपा संगठन के एजेंड़ा-बैठक-पार्टी आयोजन से इतर भाजपा कार्यकर्ताओ की चाहत है कि कोई ऐसा चेहरा जो उनके लिये लड़े और कई मुद्दो पर भाजपा कार्यकर्ताओ के लिये संघर्ष करने के लिये मैदान मे आकर सत्ताधारी दल के साथ दो-दो हाथ करने का माद्दा रखे ऐसा चेहरा अभी तक भाजपा कार्यकर्ताओ को रिझा नही पाया है। भाजपा के कई कार्यकर्ताओ को इस बात का मलाल है कि वे पार्टी के निष्ठावान सिपाही है किन्तु सत्ताधारी दल उनपर दबाव बनाकर सत्ता का दुरूपयोग कर प्रताड़ित करने का काम करते है तो उन्ही के पार्टी के नेता उनका साथ नही देते है। साफ तौर पर भाजपा कार्यकर्ताओ में इस बात को लेकर नारजगी देखने को मिल रही है कि पार्टी के लिये संगठन का काम करने पर भी उनका अघोषित धमकी मिल रही है किन्तु उनको संरक्षण प्रदान करने वाला अभी कोई चेहरा नही दिख रहा है।
क्या कोई बड़ा गेम खेलेगी प्रदेश भाजपा?
गत विधानसभा चुनाव के ठीक पहले सारंगढ़ विधानसभा सीट से सटे दो विधानसभा सीट बिलाईगढ़ विधानसभा सीट तथा चंद्रपुर विधानसभा सीट पर तात्कालिक विपक्षी दल कांग्रेस ने बड़ा दांव खेलते हुए बिलाईगढ़ विधानसभा सीट से शिक्षाकर्मी संघ के प्रदेशाध्यक्ष चंद्रदेव राय को इस्तीफा दिलाकर अपना उम्मीदवार बनाया था। वही चंद्रपुर सीट से बसपा के रामकुमार यादव को कांग्रेस प्रवेश कराकर अपना उम्मीदवार बनाकर दोनो को टिकट दिया और विधानसभा मे जीत सुनिश्चित किया था। ऐसे मे क्या सारंगढ़ विधानसभा सीट से भी अब विपक्ष मे बैठी भाजपा ऐसा प्रयोग की ओर जा सकती है? सूत्रो की माने तो कुछ सरकारी अधिकारी और कर्मचारी नेताओ पर भाजपा की नजर है तथा सर्वसम्मति का अभाव होने पर ऐसे साफ-सुथरे चेहरे जो कि अजा वर्ग मे काफी लोकप्रिय हो उसे नौकरी से इस्तीफा देकर भाजपा का विधानसभा टिकट देने से इंकार भी नही किया जा सकता है। ऐसे मे भाजपा सारंगढ़ विधानसभा सीट पर चौकाने वाला निर्णय भी ले सकती है।
कांग्रेस की व्याप्त गुटबाजी पर टिकी है भाजपा को जीत की आस?
महज 7 माह बाद होने वाला विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा कार्यकर्ताओ के विधानसभा सीट मे जीत का दावा के बीच जो बाते छनकर सामने आ रही है उसमे कांग्रेस में व्याप्त गुटबाजी का योगदान प्रमुख रहने का उम्मीद दिख रहा है। भाजपा के कुछ कार्यकर्ताओ का दावा है कि चुनाव के 6 माह पहले कांग्रेस कई टुकड़ो में बंटी दिख रही है तथा विभिन्न गुटो के बीच होने वाले रस्सकसी से यह उम्मीद दिख रहा है कि भाजपा कांग्रेसियो के बीच की लड़ाई का फायदा उठाकर विधानसभा मे जीत हासिल कर सकती है। वही भाजपा के पुराने वरिष्ठ कार्यकर्ताओ का मानना है कि चुनाव के लिये भाजपा की टीम बूथ लेबल पर सक्रिय है किन्तु कांग्रेस के नेताओ के खिलाफ खुलकर विरोध करते हुए घर-घर जाकर भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने के लिये मास लीडर की कमी भाजपा मे साफ तौर पर दिख रही है।
बहरहाल भाजपा की सारंगढ़ विधानसभा सीट पर स्थिति का आंकलन तथा भाजपा के कार्यकर्ताओ के बीच हुई चर्चा मे जो बात छनकर सामने आ रही है उसमें अभी विधानसभा सीट के लिये भाजपा दावेदारो के बीच सर्वसम्मति तथा प्रभावी चेहरा का अभाव की बाते प्रमुख रूप से सामने आ रही है। आने वाले समय में भाजपा अपने संगठनात्मक आयोजनो से इस दिशा मे भी क्या प्रभावी कार्य करती है यह भी देखने वाली बात होगी।