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सारंगढ़ सीट पर “जीताऊ चेहरे” की तलाश में भाजपा, पार्टी की सर्वे टीम एक्टिव!

सारंगढ़ सीट पर “जीताऊ चेहरे” की तलाश में भाजपा, पार्टी की सर्वे टीम एक्टिव!
मोबाईल और मैदानी स्तर पर एकत्रित कर रही है जानकारी,
सर्वे करने वाली टीम सारंगढ़ विधानसभा में सक्रिय,
भाजपा के उम्मीदवार का फूंक-फूंक कर चयन करने के संकेत,
सारंगढ़,
सारंगढ़ विधानसभा सीट से पिछली बार मिली 52 हजार मतो की करारी हार तथा कमजोर संगठन के मद्देनजर “जीताऊ” उम्मीदवार की तलाश में भाजपा के कुछ सर्वे टीम विधानसभा क्षेत्र मे एक्टिव है। मोबाईल फोन पर अथवा मैदानी स्तर पर भाजपा के टिकट के लिये प्रभावशील चेहरे की तलाश मे भाजपा सर्वे टीम के भरोसे चल रही है।
2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के तात्कालिक विधायक श्रीमती केराबाई मनहर के खिलाफ माहौल होने के स्पष्ट संकेत मिलने के बाद भी भाजपा ने तात्कालिक विधायक श्रीमती केराबाई मनहर को ही मैदान मे उतारा था किन्तु 52 हजार मतो से करारी हार का सामना भाजपा को करना पड़ा। वही इस हार के साथ साथ प्रदेश में करारी पराजय के बाद सारंगढ़ भाजपा मरणासन्न स्थिति में आ गई और त्रस्तरीय पंचायत चुनाव मे वॉक ओव्हर देने की स्थिति के बाद नगर पालिका चुनाव में लगभग क्लीन स्वीप होने वाली भाजपा के सामने कार्यकर्ताओ और भाजपा पदाधिकारियो मे उत्साह पैदा करने की सबसे बड़ी चुनौती सामने है किन्तु प्रदेश सरकार के द्वारा वर्षो पुरानी मांग सारंगढ़ जिला को मूर्त रूप देने से कांग्रेसी कार्यकर्ता और पदाधिकारी उत्साह से लबरेज है वही भाजपाई कार्यकर्ता और पदाधिकारी हताश और मायूस है। इस मायूसी के बीच कमजोर संगठन कार्यप्रणाली के साथ साथ औपचारिकतापूर्ण कार्य से भाजपा कार्यकर्ताओ मे चुनाव के 8 माह पूर्व वह उत्साह नही आ पाया जो कि सत्ताधारी दल को घेरने के लिये कार्यकर्ताओ को एकजुट करके संषर्घ करते। प्रदेश में सत्ता जाते ही सत्ता का 15 बरस तक मलाई खाने वाले ठेकेदार और पार्टी के बड़े चेहरे ऐसा दुम-दबाकर अपने घरो मे दुबके रहे मानो वे ही टारगेट मे रहने वाले है। कई बड़ें चेहरे ने बडी चतुराई से पाला बदल लिया और कांग्रेस के खास सिपाही बन गये। वही त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवारो को निर्विरोध जीताने मे महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करने मे भाजपा के बडे चेहरे सक्रिय दिखे। आसन्न विधानसभा चुनाव में भाजपा को इन बड़े विभीषणो से बचना और सत्ताधारी दल कांग्रेस के खिलाफ मैदान पर लड़ना बड़ी चुनौती है किन्तु सारंगढ़ के बाहर के नेता को जिलाध्यक्ष का कुसीँ देकर भाजपा संगठन को कमजोर कर गई। सरसीवां के भाजपा नेता सुभाष जालान को अध्यक्ष बने 5 माह से अधिक हो गये किन्तु गुटीय राजनिति में फंस कर रह गये है। जिसके कारण से भाजपा कार्यकर्ताओ मे उत्साह का संचार नही कर पाये। वही अब बात 8 माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव पर टिक गई है। जिसको देखते भाजपा के केन्द्रीय समिति ने कई सर्वे टीम को सारंगढ विधानसभा सीट का भी काम सौप दिया है। बताया जा रहा है कि इन दिनो लगभग आधा दर्जन से अधिक सर्वे टीम के मेंबर सारंगढ़ विधानसभा के विभिन्न गांवो मे सक्रिय है तथा भाजपा के दावेदारो के साथ साथ जीताऊ उम्मीदवार की कुंडली निकालने मे लगे हुए है। कुछ बड़े राजनितिक चेहरो तथा चौथे स्तंभ से भी सर्वे टीम से मोबाईल पर चर्चा कर भाजपा नेता जो कि टिकट का दावा करने वाले है उनका पूरा बायोडाटा लेने के साथ साथ पूरा इतिहास साथ रखकर जानकारी एकत्रित कर रहे है। सर्वे करने वाली टीम के एक मेंबर ने चर्चा के दौरान बताया कि ऐसा चेहरा की तलाश जारी है जो कि भाजपा के सभी गुटो को एक कर दे और कार्यकर्ताओ मे उत्साह का संचार करें। इस कारण से उनका फोकस बड़े नामो या बड़े चेहरो पर नही होकर ऐसे चेहरे की ओर है जो कि भाजपा कार्यकर्ताओ को चुनावी मैदान मे जुटने के लिये उत्साहित करें। भाजपा के टिकट के दर्जन भर से अधिक के दावेदारो के पूरा बायोड़ाटा रखने के साथ साथ राजनितिक हिस्ट्री तथा हर जानकारी साथ मे रखे इस सर्वे टीम ने अपने सर्वे के बारे में जानकारी देने से साफ इंकार कर दिया किन्तु संकेत जरूर दे दिया कि पुरानी भाजपा के चेहरो पर उत्साह फिका है इस कारण से फ्रेश चेहरे को ही पार्टी मैदान मे उतारने वाली है। वही सर्वे टीम के एक सदस्य से मोबाईल पर हुई चर्चा के अनुसार इस बात पर भी लगातार जानकारी एकत्रित किया जा रहा है कि गैरराजनितिक व्यक्ति को भी भाजपा चुनावी मैदान मे उतारकर कांग्रेस को बड़ा झटका दे सकती है। इस कारण से अभी सर्वे टीम का पूरा फोकस सारंगढ़ विधानसभा मे ऐसे चेहरे की तलाश मे है जो कि विधानसभा टिकट के साथ विधानसभा क्षेत्र में रातोरात हर गुट के साथ उचित संबंध में फिट बैठे ताकि भाजपा के पदाधिकारियो और कार्यकर्ताओ के बीच मतभेद ना आये और बिना किसी भीतरघात या बगावत के भाजपा इस सीट को जीत जाये।
बहरहाल सारंगढ़ सीट में भाजपा के पास सर्वमान्य उम्मीदवार का अभाव है। वही टिकट के दावेदार तो दर्जन भर से अधिक है किन्तु अभी तक कोई भी ऐसा चेहरा पार्टी के बड़े नेताओ को प्रभावित नही कर पाया है जिसको स्पष्ट संकेत अभी से देकर तैयारी प्रारंभ कराया जा सकें। इसी को लेकर भाजपा के बड़े दिग्ग्जो के माथे पर चिंता की लकीरे स्पष्ट दिख रही है। किन्तु साफ छबि और गुटबाजी से परे ऐसा चेहरा की तलाश मे भाजपा की सर्वे टीम एक्टिव मोड में दिख रही है जो कि भाजपा को इस सीट पर जीत दिलवा सकें।

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