जिला- सारंगढ़ बिलाईगढ़

नवीन जिला सारंगढ़ में अब तक नही खुल पाया खनिज विभाग का कार्यालय
अभी भी रायगढ़ से संचालित हो रहा है खनिज विभाग,

नवीन जिला सारंगढ़ में अब तक नही खुल पाया खनिज विभाग का कार्यालय
अभी भी रायगढ़ से संचालित हो रहा है खनिज विभाग,
कहीं अधिकांश क्रेशर मालिक रायगढ़ के होने की वजह से तो नहीं आ रही सारंगढ़-बिलाईगढ़ में माइनिंग विभाग?
आखिर किसका है संरक्षण, सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले में बैठे अधिकारी भी बेखबर?
रायगढ़ के खनिज अधिकारी को दिया गया है सारंगढ़ का प्रभार,
नही ध्यान दे रहे है रायगढ़ के खनिज अधिकारी,
सारंगढ़,
रायगढ़ जिले से अलग होकर सारंगढ़-बिलाईगढ़ एक नए जिला के रूप में निर्माण हुआ है, लेकिन यहां तो माइनिंग विभाग का अता-पता ही नहीं है। वैसे तो रायगढ़ माइनिंग विभाग के खनिज अधिकारी योगेंद्र सिंह को सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले का प्रभार दिया गया है, लेकिन एक ही अधिकारी दो जिलों को कैसे संभाल पाएगा? यह भी लोगों के जुबान पर है। वैसे तो नवीन जिला सारंगढ-बिलाईगढ़ क्षेत्र में स्थित ग्राम गुडे़ली, टिमरलगा, कटंगपाली और बिलाईगढ़ क्षेत्र में कई सारे क्रेशर उद्योग, चूना भट्ठा और रेत घाट है, किंतु सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला में माइनिंग विभाग नहीं होने से बेधड़क और बेरोकटोक यहां का काम चल रहा है। हालांकि खनिज अधिकारी योगेंद्र सिंह तेज तर्रार अधिकारियों में माने जाते हैं जो दोनों जिलों को नियंत्रण में रखकर काम कर रहे हैं, लेकिन लोगों की जुबां पर तो कुछ और ही चल रहा है। गुडे़ली, टिमरलगा, कटंगपाली और सल्हेओना में दर्जनों क्रेशर नियम से संचालित हो रहे हैं और कई खदानें ऐसे हैं जो अवैध रूप से संचालित की जा रही है, लेकिन सारंगढ़-बिलाईगढ़ में माइनिंग विभाग नहीं होने पर शासन को लाखों करोड़ों की चुना लगाया जा रहा है और बेरोकटोक ओवरलोड गाड़ियां बेधड़क होकर रोड पर दौड़ रही है व हादसों को न्योता दिया जा रहा है। हाल ही दिनों में चंद्रपुर पुल पर एक अज्ञात ओवरलोड टेलर ने एक व्यक्ति को रौंदते हुए चला गया और उस व्यक्ति की मौके पर ही मौत हो गई। यहां ना तो आरटीओ विभाग है और ना ही माइनिंग विभाग इसलिए गाड़ियां भी बेधड़क होकर जा रही है।

माइनिंग विभाग के लिए तरस रहे सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिलावासी
वैसे तो गुडे़ली, टिमरलगा, कटंगपाली और सल्हेओना में दर्जनों क्रेशर स्थित है, जिसमें अधिकांश क्रेशर मालिक रायगढ़ में निवास करते हैं, इसलिए कहीं राजनीतिक दबाव के कारण तो माइनिंग विभाग को रायगढ़ में ही रोककर नहीं रखा गया है ? ऐसा हम नहीं कह रहे हैं, लेकिन लोगों के जुबां पर यह चर्चाएं चल रही है कि अधिकांश क्रेशर मालिक रायगढ़ में निवास करते हैं और उनको राजनीतिक संरक्षण भी प्राप्त है, इसी के कारण आज तक माइनिंग विभाग सारंगढ़ में नहीं बैठ पाई है। हालांकि प्रभार मिले प्रभारी कभी-कभी सारंगढ़ के दौरे पर आते हैं, लेकिन उनके आने और जाने से भी कुछ फर्क पड़ने वाला नहीं दिख रहा है।

रायगढ़ के रसूखदारों के आगे झुका माइनिंग विभाग
वहीं कहा जा रहा है कि रायगढ़ माइनिंग विभाग के खनिज अधिकारी व सारंगढ़-बिलाईगढ़ के प्रभारी रायगढ़ में बैठे खनिज रसूखदार के आगे बिक गए हैं, क्योंकि रायगढ़ में जो कहा जा रहा है वही सारंगढ़ में किया जा रहा है और माइनिंग विभाग भी कुछ ध्यान नहीं दे रहा है। हालांकि माइनिंग विभाग कई क्रेशरों पर कहर बनकर बरसती है और सील की कार्यवाही भी कर दी जाती है, लेकिन यह कार्यवाही केवल मोहरे बने हुए माइनिंग विभाग कर रही है, जिनको कंट्रोल कहीं और से किया जा रहा है। वहीं कहा जा रहा है कि जहां से लक्ष्मी जी का चढ़ावा नहीं चढ़ाया जाता है वहां माइनिंग विभाग चढ़ावे के लिए जरूर पहुंच जाता है और जहां से लक्ष्मी जी का चढ़ावा चढ़ जाती है वहां माइनिंग विभाग देख कर भी अनजान बन जाती है। अंजान बने भी तो क्यों नहीं वहां तो उनको कंट्रोल करने वाला कोई और है तो माइनिंग विभाग द्वारा भी अपने विभागीय काम को पूरा किया जा रहा है।

2 जिले के प्रभारी होने का बखूबी फायदा उठा रहे हैं कोयला माफिया
वहीं जानकारों की माने तो 2 जिले के प्रभारी होने पर जहां से काले हीरे का काला कारोबार चल रहा है वहां पर माइनिंग विभाग की कोई कहर नहीं बन रही है। हालांकि माइनिंग विभाग गाड़ियों पर कहर बनकर बरसती रही है और क्रेशरों में भी कार्यवाही की जा रही है, लेकिन आज तक आप लोगों ने सुना ही नहीं होगा कि कहीं कोयले पर कोई बड़ा कार्यवाही किया गया हो। कोयला डिपो पर तो कार्यवाही की बात छोड़िए माइनिंग विभाग आज तक कोयले की तरफ ध्यान ही नहीं दे रहा है। वहीं पुलिस प्रशासन ध्यान देकर अभी हाल ही दिनों में गाड़ियों में दूसरा नंबर प्लेट लगाकर कोयले की काले कारनामे को अंजाम दे रहे गाड़ियों को पुलिस विभाग ने जप्त किया है। यह माइनिंग विभाग का मूल काम है, जिसके लिए सरकार उनको तनख्वा भी दे रही है, लेकिन यहाँ तो माइनिंग विभाग के अधिकारी अपनी दफ्तर से ही बाहर नहीं निकल रहे हैं। रायगढ़ जिले में दो खनिज इंस्पेक्टर, एक सहायक खनिज अधिकारी और एक खनिज अधिकारी मौजूद है, हालांकि खनिज अधिकारी को दो जिलों का प्रभार सौंपा गया है, लेकिन बाकी अधिकारी क्या कर रहे हैं ? क्या उनका मूल काम को छोड़कर ऑफिस में गप्पे लड़ा रहे हैं, ऐसा चर्चा का विषय बना हुआ है। आखिर में सरकारी तनख्वा लेते हैं साहब तो कम से कम सरकार का काम कीजिए और जनता का कुछ उद्धार कीजिए। अवैध तरीके से जो काले हीरे का, काली रात में, काली कमाई को अंजाम दे रहे हैं उनको खुला छूट दे रखे हैं। यह भी माइनिंग विभाग को कई सवालों के घेरे में खड़ा कर रहा है। अब आगे देखते हैं कि रायगढ़ में काले हीरे का काले कारनामों को अंजाम देने वालों पर रायगढ़ जिले में आए नए कलेक्टर क्या कर पाते हैं या माइनिंग विभाग जाकर उन पर कुछ कार्यवाही करती है या फिर बड़े रसूखदारों के रसूख के आगे झुक कर ऑफिस में दुबक कर अपने काम पर ही काम करती है, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

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