
मोदी की गारंटी की खोज में रंगोली, कोरबा में एक की मौत: एनएचएम कर्मचारियों की हड़ताल का 16वां दिन…
रायगढ़, 2 सितंबर 2025 छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के 16,000 से अधिक संविदा कर्मचारी अपनी 10 सूत्रीय मांगों को लेकर 18 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। आज, हड़ताल के 16वें दिन, रायगढ़ जिले के 500 से अधिक कर्मचारियों ने “गारंटी की भी गारंटी – मोदी की गारंटी” रंगोली बनाकर सरकार की वादाखिलाफी पर तीखा तंज कसा। कर्मचारी पूछते हैं, “मोदी की गारंटी का ढोल पीटने वाले, हमारी मांगों का लिखित आदेश कहाँ है?”
*कोरबा में एक और कर्मचारी की दुखद मृत्यु*
हड़ताल के बीच कोरबा जिले से एक और दुखद खबर आई। लैब टेक्नीशियन मुकेश चौहान का निधन हो गया। रायगढ़ के एनएचएम कर्मचारियों ने मौन धारण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। कर्मचारी संघ ने इसे “शासन की उदासीनता का परिणाम” बताया, क्योंकि लंबे समय से तनाव और अनिश्चितता ने कर्मचारियों को मानसिक और शारीरिक रूप से तोड़ दिया है। “20 साल से हमारी मेहनत को ठगा जा रहा है, और अब हमारे साथी जान गँवा रहे हैं। क्या सरकार को अब भी नींद नहीं टूटेगी?” – एनएचएम कर्मचारी संघ, रायगढ़।
राज्य कार्यालय ने रायगढ़ के दो कर्मचारियों को 24 घंटे का अल्टीमेटम देकर काम पर लौटने का दबाव बनाया। इस “नो-वर्क, नो-पे” की धमकी को कर्मचारियों ने एक स्वर में खारिज करते हुए इसे “हमें कमजोर करने की साजिश” करार दिया। कर्मचारी संघ ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने दमनकारी रवैया नहीं छोड़ा, तो आंदोलन को और उग्र किया जाएगा। “हम डरने वाले नहीं, हमारी मांगें जायज हैं, और हम हक के लिए लड़ेंगे,” कर्मचारियों ने कहा।एनएचएम कर्मचारी संघ, रायगढ़ ने स्पष्ट किया कि यह हड़ताल उनकी मजबूरी है। “20 साल से हम कोविड योद्धा बनकर, ग्रामीण क्षेत्रों में जान जोखिम में डालकर सेवा करते आए हैं। बदले में न नियमितीकरण मिला, न ग्रेड पे, न 27% वेतन वृद्धि। सरकार दावा करती है कि 5 मांगें पूरी हो गईं, लेकिन लिखित आदेश का नामोनिशान नहीं। स्वास्थ्य मंत्री जी, झूठ का ढोल पीटना बंद कीजिए, आदेश दिखाइए!” कर्मचारियों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी सरकार को गुमराह कर रहे हैं, और “मोदी की गारंटी” को जनता के सामने कोरी बातें बनाकर पेश किया जा रहा है।
स्वास्थ्य सेवाएँ ठप, मरीज परेशान
हड़ताल के कारण प्रदेश की 6,239 स्वास्थ्य संस्थाएँ प्रभावित हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, और आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में ताले लटक रहे हैं। टीकाकरण, ओपीडी, गर्भवती महिलाओं और बच्चों की देखभाल, टीबी-मलेरिया जांच जैसी सेवाएँ पूरी तरह ठप हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में मरीज भटक रहे हैं, और अस्पतालों में अराजकता का माहौल है। “हम नहीं चाहते कि जनता को तकलीफ हो, लेकिन 20 साल का शोषण अब और नहीं सहा जाएगा,” कर्मचारियों ने कहा।
महिलाएँ और बच्चे भी आंदोलन में
हड़ताल में दूधमुँहे बच्चों के साथ महिला कर्मचारी भी शामिल हैं, जो अपने परिवार की बदहाली को रंगोली और नारों के जरिए बयान कर रही हैं। एक कर्मचारी ने कहा, “न आटा है, न दाल है, संविदा ने बिगाड़ा हाल है।” यह नारा उनकी पीड़ा और मजबूरी को दर्शाता है।
मांगें और चेतावनी
एनएचएम कर्मचारियों की 10 सूत्रीय मांगें हैं:
1. नियमितीकरण और संविलियन
2. 27% लंबित वेतन वृद्धि
3. ग्रेड पे का निर्धारण
4. 10 लाख रुपये का कैशलेस मेडिकल बीमा
5. पब्लिक हेल्थ कैडर की स्थापना
6. कार्य मूल्यांकन में पारदर्शिता
7. अनुकंपा नियुक्ति
8. महिला कर्मियों के लिए विशेष अवकाश नीति
9. ट्रांसफर सुविधा
10. ठेका प्रथा का अंत
कर्मचारी संघ ने चेतावनी दी है कि जब तक लिखित आदेश जारी नहीं होते, आंदोलन जारी रहेगा। सरकार की कानों में जूँ नहीं रेंग रही। अब और इंतजार नहीं, अब आर-पार की लड़ाई होगी,” संघ ने कहा। एनएचएम कर्मचारी संघ ने सरकार से तत्काल संवाद शुरू करने और मांगों पर ठोस कार्रवाई की माँग की है। “स्वास्थ्य सेवाएँ ठप होने की जिम्मेदारी हमारी नहीं, शासन की होगी। हमारी मांगें जायज हैं, और हम सिर्फ अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं,” रायगढ़ जिला अध्यक्ष ने कहा।