जिला- सारंगढ़ बिलाईगढ़

बिलाईगढ़, के जान जोखिम में डाल नाला पार कर शिक्षा ग्रहण करने जाते हैं बच्चे! एक प्रधान पाठक के भरोसे 43 बच्चे, कैसे बने बच्चों का भविष्य 

बिलाईगढ़, के जान जोखिम में डाल नाला पार कर शिक्षा ग्रहण करने जाते हैं बच्चे! एक प्रधान पाठक के भरोसे 43 बच्चे, कैसे बने बच्चों का भविष्य 

बिलाईगढ़, के जान जोखिम में डाल नाला पार कर शिक्षा ग्रहण करने जाते हैं बच्चे! एक प्रधान पाठक के भरोसे 43 बच्चे, कैसे बने बच्चों का भविष्य 

स्कूल में नहीं किचन शेड, रसोईया घर से बनाकर लाता है मध्यान्ह भोजन

सारंगढ़ टाईम्स न्यूज/बिलाईगढ़,
एक तरफ छत्तीसगढ़ सरकार बच्चों के भविष्य को लेकर तरह तरह के योजनाएं चला रही है। ताकि बच्चे जो है पढ़ लिखकर अच्छी शिक्षा तामिल हासिल कर सके। लेकिन ये सारी योजनाएं ग्राम पंचायत चारपाली के आश्रित ग्राम पंचायत रनकोट में फेल होती नजर आ रही है। आपको बता दें कि बिलाईगढ़ विधानसभा के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत चारपाली के आश्रित ग्राम रनकोट चारो ओर से जंगलों से घिरा हुआ है यहां तक की बच्चे जो है उबड़-खाबड़ कच्ची सड़क के साथ नाले पार कर स्कूल जाने को मजबूर हैं। वहीं शासकीय प्राथमिक शाला रनकोट के स्कूली बच्चो को कई प्रकार की परेशानियों से जुझना पढ़ रहा ‌है।इतना ही नहीं वहां पढ़ने वाले बच्चों को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना
पड़ रहा है। जहां स्कूल में किचन शेड, स्कूल के छत से पानी टपकना, छत पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है जिससे बच्चों को स्कूल में बैठने की समस्या हो रही है। वहीं बच्चे जो है अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए जान जोखिम में डाल कर नाला पार कर स्कूल पहुंच अपनी पढ़ाई पूरा करते हैं।

जहां प्राथमिक शाला रनकोट में 43 बच्चे हैं और उनको पढ़ाने वाला एक प्रधान पठाक
ऐसे में एक प्रधान पठाक से 43 बच्चों का भविष्य कैसे संवारेगा, वहीं हम बात करें किचन शेड की तो रनकोट स्कूल में किचन शेड ही नहीं बना है और रसोईया द्वारा अपने घर से मध्यान भोजन बना कर लाते हैं और बच्चों को देते है। इसी तरह की और कई समस्याओं से जुझ कर बच्चे अपना अध्यन करने को मजबूर हैं, वहीं जब सारंगढ़ जिला नहीं बना था बलौदाबाजार जिला था तब जिला कलेक्टर बलौदा बाजार चारपाली में समस्या निवारण शिविर में पहुंचे थे तभी ग्राम पंचायत रनकोट के ग्रामीणों ने बलौदाबाजार कलेक्टर को बंधक बना कर अपने गांव रनकोट लेकर गये थे तब बलौदाबाजार कलेक्टर ने आश्वासन दिया था कि आप लोगो की मांग पर यहां बहुत जल्द नाला, सड़क और स्कूल की समस्या का निवारण हो जायेगा लेकिन स्थिति ऐसी है कि आज तक ग्राम रनकोट मे ना तो सड़क
बनी, ना तो नाला बना और न ही पुल बना पाया। यहां तक कि किसी भी अधिकारी द्वारा आज तक ग्राम रनकोट जाने की फुर्सत नहीं मिली है। आपको बताते चालें कि अभी स्कूल सत्र प्रारंभ ही हुआ है और शासकीय प्राथमिक शाला रनकोट के स्कूल में कई समस्याएं सामने आ रही है जहां शासन बच्चों की भविष्य को लेकर अनेक प्रकार की योजना बना रहे हैं और संचालित कर रहे हैं। जिसमे मुक्त स्कूल ड्रेस, पुस्तक के साथ साथ नि: शुल्क शिक्षा, सरस्वती साइकिल योजना, मध्यान भोजन, स्कूल बिल्डिंग, साफ सफाई व शुध्द पानी और इतना ही नहीं बच्चों की बौध्दिक विकास के लिए नित नये नये योजना बनाने में शासन प्रशासन लगा हुआ है।

इस योजना में से मध्यान्ह भोजन जैसी समस्या से लेकर अनेक समस्याओं से रनकोट
स्कूल बना है रनकोट स्कूल में मध्यान भोजन का संचालन किया जा रहा है ताकि बच्चों को भोजन स्कूल में ही मिल सके और बच्चों की भविष्य उज्जवल हो सके परन्तु यहां किचन शेड खराब स्थिति में होने के कारण मध्यान भोजन रसोईया द्वारा स्वयं अपने घर से मध्यान भोजन बनाकर बच्चों के लिए स्कूल लेकर आता है और इस प्राथमिक शाला में एक प्रधान पाठक 43 बच्चों को शिक्षा देकर भविष्य बनाने में लगे हुए है जहां कक्षा एक से पांचवीं तक के सभी बच्चों को एक प्रधान पाठक अकेला शिक्षा दे रहे हैं एक प्रधान पाठक के भरोसे रनकोट स्कूल चल रहा है यहां के बच्चे भी शिक्षा अध्ययन करने में अधिक रूचि दिखा रहे हैं। वहीं जिस प्राथमिक शाला में बच्चे अध्ययन कर रहे हैं वहां तीन कमरों में पांच कक्षा संचालित हो रही है और तीनों कमरों में पांच कक्षा संचालित हो रहा है इतना ही नहीं तीनों कमरों की छत की हालत जर्जर तथा छत से पानी टपक रहा है फिर भी बच्चे इन
परिस्थितियों में भी शिक्षा अध्ययन करने स्कूल पहुंच रहे हैं। और यही नहीं स्कूल पहुंचने के लिए स्कूल के ठीक सामने में एक छोटी नाल है जहां नल को पार कर बच्चे स्कूल जाते हैं वही नाला में कई प्रकार के कीड़े मकोड़े सांप बिच्छू बहते रहते हैं जिससे बच्चों को डर बना रहता है। इतना ही नहीं बच्चों के पालको को भी डर बना रहता है की कही कोई अप्रिय घटना घट ना जाए। इतना ही नहीं

इस नाले की पानी का स्तर ज्यादा होने पर बच्चे स्कूल तक नहीं पहुंच पाते उस दिन बच्चों की अवकाश हो जाता है बच्चों को शिक्षा अध्ययन करने में वंचित होना पड़ता है शिक्षक भी नाला के कारण स्कूल तक पहुंचने में नाला पार कर शिक्षा अध्ययन करने स्कूल पहुंच रहे हैं जिस दिन लाल में पानी ज्यादा भरा होता है उसे दिन शिक्षक पानी कम होने का इंतजार करने को मजबूर रहते हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि रनकोट स्कूल में किस तरह बच्चों का भविष्य उज्जवल बनेगा। यहां यह भी बताना लाजिमी हो रहा है कि इस नल के पार छोटे-छोटे गांव भी हैं जहां गांव में रहने वाले लोगों की अचानक स्वास्थ्य खराब होने पर बरसात के दिनों में अस्पताल पहुंचने में भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यही नहीं इस स्कूल में बलौदा बाजार कलेक्टर तक पहुंच गए है। वही नाला व स्कूल की समस्या को लेकर जब रमन सिंह मुख्यमंत्री और डां.सनम जांगड़े विधायक थे तब ग्राम वासियों द्वारा कई बार आवेदन दिया गया फिर कांग्रेस की सरकार बनी और विधायक चंद्रदेव राय बने उनके द्वारा भी रनकोट के ग्रामीणों को आश्वासन दिया गया। परंतु आज तक नाला नहीं बन पाया फिर अब भाजपा की सरकार बनी है जहां अब देखना यह है कि भाजपा के नेता आखिर रनकोट वासियों और स्कूली बच्चों की भविष्य को लेकर आगे क्या कुछ कार्रवाई करता है।

क्या कहते है कलेक्टर

बजट वाला चीज है देखकर बता पाऊंगा अभी मैं मीटिंग में हूं।

डां. संजय कन्नौजे, कलेक्टर सारंगढ़ बिलाईगढ़

क्या कहते है जिला समन्वयक
सभी विकास खंड के जिला शिक्षा अधिकारियों से जर्जर स्कूलों की जानकारी
मंगाई गई है। निश्चित रूप से कार्य पीडब्ल्यूडी या आरईएस से जल्द टेंडर मंगाकर कार्य किया जायेगा
वहीं शिक्षा के संबंध में बीईओ से बात करने की कही।

नरेश चौहान, जिला समन्वयक सारंगढ़
क्या कहते है बीईओ

जिला में जानकारी भेज दिया गया है। शिक्षक की व्यवस्था 15 अगस्त तक हो जायेगी और
नाला के लिए सरपंच सचिव प्रस्ताव बनाकर भेजेंगे।

एस.एन.साहू, विकास खंड शिक्षा अधिकारी बिलाईगढ़
क्या कहते है बीआरसीसी
स्कूल जर्जर स्थिति में है अन्य कोई शासकीय भवन वहां नहीं है एक पाठकीय शाला
की जानकारी भेजें है किचन शेड के लिए जिला भेजें है स्वीकृति होगा तो कार्य कराया जाएगा।
फणेन्द्र सिंह नेताम, बीआरसीसी बिलाईगढ़

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