फ्लाईएश : रायगढ़ को मिल रहा रोजगार, सीएसआर और मुनाफा, सारंगढ़ शहर बना राख का डंप?

अड़ानी ग्रुप ने फिर से शुरू किया कुटेला के खदान में फ्लाईएश भराव,
बिना तिरपाल के फ्लाईएश का परिवहन शुरू,
दो दिन में ही सारंगढ़ से चंद्रपुर तक फ्लाईएश से सड़क सरोबर,
क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारी की मनमानी भारी पड़ रही है सारंगढ़ शहरवासियो को?
सारंगढ़ टाईम्स न्यूज/सारंगढ़,
राजनितिक और विकास के मुद्दे पर उपेक्षित रहने वाला सारंगढ़ को अब मातृजिला रायगढ़ के अधिकारी फ्लाईएश के राख का डंपिंग यार्ड बनाने मे तुले हुए है। बड़े भंड़ार में संचालित अड़ानी ग्रुप का रायगढ़ एनर्जी से दो लाख मिट्रिक टन फ्लाईएश के निदान के लिये नियमो को ताक मे रखकर नगर पालिका के सीमा के अंदर आने वाले कुटेला के गड्ढ़ो को चुना गया जो कि शासकीय कालेज से लगा हुआ है। शिकायत भी हुआ कि इससे पर्यावरण प्रदूषित होगा और वाटर रिजार्च मे भी दिक्कत होगी। किन्तु क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारी अंकुर साहू ने क्लीन चिट देकर फिर से कुटेला में फ्लाईएश भराव का काम शुरू करवा दिया।
रायगढ़ के पुसौर ब्लाक में स्थित रायगढ़ एनर्जी जो कि अड़ानी ग्रुप का सयंत्र है वहा बड़े पैमाने पर फ्लाईएश का उर्त्सजन हो रहा है। अड़ानी ग्रुप के इस संयंत्र से रायगढ़ जिले के निवासियो को रोजगार मिला है और राजस्व का फायदा रायगढ़ जिले को हो रहा है साथ ही सीएसआर मद से विकास भी रायगढ़ जिला का हो रहा है लेकिन जब बात फ्लाईएश के निदान की आ रही है तो पहले टिमरलगा-गुड़ेली और कटंगपाली के बाद सारंगढ़ शहरीसीमा मे आने वाला कुटेला के चंद पत्थर के अवैध खदान ही रायगढ़ के क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारी अंकुर साहू को नजर आ रहा है। विकास की खीर खाने वाले रायगढ़ में फ्लाईएश का निदान नही करके पर्यावरण अधिकारी सारंगढ़ को क्यो प्रदूषित करना चाहते है। महज दो किलोमीटर बाद लगने वाला गोमर्डा अभ्यारण्य की सीमा का भी ध्यान क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारी ने नही रखा है। और ना ही रिहायशी क्षेत्र और शासकीय महाविद्यालय के समीप दूरी तक का ख्याल नही रखा। अजा वर्ग मे आने वाला देवार जाति के बस्ती का भी ध्यान पर्यावरण अधिकारी को नही आया और आनन-फानन में अड़ानी ग्रुप को 2 लाख मिट्रिक टन फ्लाईएश का निदान का काम दे दिया
गया। लगभग 10 हजार भारी वाहनो मे फ्लाईएश के निदान से कुटेला के खदाने तो समलत हो जायेगी किन्तु पर्यावरण का नुकसान कितना होगा? यह पर्यावरण अधिकारी बताने को तैयार नही है। कलेक्टर सारंगढ़-बिलाईगढ़ के जनशिकायत पोटर्ल में किया गया शिकायत को डिस्पोज करते हुए पर्यावरण अधिकारी ने लिखा है कि यदि पर्यावरण प्रदूषण की शिकायत आती है तो फ्लाईएश का निदान को बंद कर दिया जायेगा। श्रीमान पर्यावरण अधिकारी जी आपको 10 फीट बाद शासकीय महाविद्यालय की बाऊड्री नही दिखी? देवार पारा की बस्ती नही दिखी? आपको मुख्य मार्ग नही दिखा? तो सारंगढ़ शहरी क्षेत्र का प्रदूषण कहा से दिखेगा? नगर पालिका की एनओसी ट्रांसपोर्टर को और अनुमति अड़ानी ग्रुप को? सारंगढ़ नगर पालिका के सीएमओ के द्वारा दिया गया इस मामले मे एनओसी को ध्यान से देखने पर ज्ञात होता है कि रायगढ़ के मां शाकम्बरी लाजिस्टिक के पाटर्नर रविन्द मित्तल को
ट्रांसपोट्रिंग के लिये एनओसी दिया गया है और इस एनओसी के आधार पर अड़ानी ग्रुप को फ़्लाईएश निदान के लिये अनुमति प्रदान कर दिया गया है जो पहली ही नजर मे गडबड़झाला दिख रहा है। रिहायशी क्षेत्र तथा शासकीय महाविद्यालय के बगल मे 2 लाख मिट्रिक टन फ्लाईएश का निदान करने की अनुमति सिर्फ सारंगढ़ वासियो के स्वास्थ के साथ खिलवाड़ ही है। इस फ़्लाईएश के पाटने से ना तो सारंगढ़ का विकास होगा और ना ही कंपनी यहा पर सीएसआर मद से कोई काम करायेगी। सिर्फ और सिर्फ पानी प्रदूषित होगा। पहले ही दिन में ही दिख गया ट्रांसपोर्टरो की मनमानी?
सारंगढ़ के कुटेला में जहा पर फ्लाईएश का निदान किया जा रहा है उसके लिये शर्त यह रखी गई है कि ट्रांसपोर्ट मे लगी गाड़ियो मे तिरपाल ढ़का होना चाहिये, गाड़ी ओव्हरलोड़ ना हो। चंद्रपुर से सारंगढ़ तक सड़को पर फैली फ्लाईएश का देख लिजिये। सड़क पर गिराकर प्रदूषण फैला रहे है। अनुमति आदेश मे लिखा है कि ओवरहलोड़ वाहन नही होना चाहिये। हर गाड़ी ओव्हरलोड़ चल रही है। फ्लाईएश का परिवहन को दिन मे करने का फरमान है किन्तु यहा पर रात के अंधेरे मे किया जा रहा है। जहा फ्लाईएश का भराव हो रहा है वहा पर पूर्ण डिटेल विवरण के साथ सूचना बोर्ड होना चाहिये। ऐसा कुछ भी वहा पर नही है। पानी का छिड़काव और पर्याप्त मात्रा में मिट्टी का पटाव होना चाहिये। ऐसा कुछ भी वहा पर नही है। लेकिन श्रीमान क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारी महोद्य को यह सब नही दिखेगा।