
बोहराबहाल सोसायटी से बिना धान के “कागज” पर उठा लिया गया 5 हजार क्विंटल धान? अधिकारियो की मिलीभगत से हुआ फिर खेला?
सूरज फूड्स राईस मिल रायगढ़ ने फड़ में धान नही होने के बाद भी उठा लिया धान?
सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला में सरकारी तंत्र का बड़ा खेल?
11 मार्च को धान नही मिला जांच समिति को,
5 अप्रैल से 25 अप्रैल के बीच फड़ से धान का उठाव भी हो गया?
अजग-गजब है सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला?
सारंगढ़़ टाईम्स न्यूज/सारंगढ़,
सारंगढ़ विकासखंड़ के बोहराबहाल सोसायटी मे 11 मार्च को जांच समिति को 5 हजार क्विंटल धान की कमी मिली थी वह अचानक पूर्ण हो गया और 5 अप्रैल को रायगढ़ के सूरज फूड्स के नाम पर 5 हजार क्विंटल का डीओ काटा गया। 8 अप्रैल को 5071 क्विंटल धान के गबन को लेकर एफआईआर दर्ज किया गया और 25 अप्रैल तक सूरज फूड्स रायगढ़ के द्वारा बोहरा बहाल सोसायटी जहा पर धान नही था वहा 5068 क्विंटल धान उठा कर फर्जीवाड़ा का नया रिकार्ड बना दिया। खाद्ध विभाग और सहकारिता विभाग के शह पर हुआ इस बड़ा खेल में पूरा कांड़ सिर्फ आरोपियो को बचाने के लिये किया गया है। सेवा सहकारी समिति कनकबीरा के बोहराबहाल धान उर्पाजन केन्द्र में बड़ा खेला हो गया है। यहा पर जांच समिति को 11 मार्च को 5071 क्विंटल धान कम मिला था और 8 अप्रैल को 1.57 करोड़ रूपये के धान की कमी/गबन के कारण से आधा दर्जन आरोपियो पर एफआईआर दर्ज कराया गया। आज भी एक भी आरोपी को सारंगढ़ पुलिस गिरफ़्तार करने मे सफल नही हुई है
क्योकि मिलीभगत करके गबन किया गया धान को कागजो पर शून्य करने का षड़यंत्र पूरे उफान पर चला और 25 अप्रैल तक गबन किया गया धान 1.57 करोड़ रूपये के 5071 क्विंटल से घटकर 2.82 क्विंटल यानि महज 8725 रूपये का आ गया। इस पूरे खेल का मास्टर माईंड कोई और नही बल्कि खाद्ध और सहकारिता के बड़े चेहरे है जो कि धोखाधड़ी करने वाले आरोपियो को बचाने के लिये बड़ा खेला कर लाखो रूपये का लिफाफा पाये है। जिस समिति के आधा दर्जन पदाधिकारी पर संगीन धाराओ मे अपराध दर्ज होता है उस समिति में महज पखवाड़ा भर में ही धान की कमी को पूर्ण करने का पूरे छत्तीसगढ़ मे पहला केस है। अगर उस समिति मे पूरा धान उपलब्ध था तो जांच समिति ने कैसे धान की कमी पाया? क्या जांच समिति को रिर्पोट फर्जी है? क्या जांच समिति ने गलत जानकारी देकर एफआईआर कराया है?
यदि जांच समिति की रिर्पोट सही है तो बिना धान का बोहराबहाल मे धान उठाने का डीओ 5 अप्रैल को सूरज फूड्स रायगढ़ और अन्य राईस मिल के लिये किस अधिकारी के संरक्षण मे काटा गया हैँ? और बिना धान के कैसे में वहा पर धान का उठाव हो गया है? बोहरा बहाल में कौन से वाहन से किस नंबर के वाहन से जीपीएस लगा हुआ वाहन से कैसे धान का उठाव हुआ? और इस धान को किस-किस तारीख को किस- किस हमाल के द्वारा लोड़-अनलोड़ किया गया? यह भी जांच का विषय और फर्जीवाड़ा का विषय है? इसमे भी गलत करने वालो पर साजिश रचने के नाम पर एफआईआर दर्ज होना चाहिये। जब 11 मार्च से लेकर 8 अप्रैल तक समिति मे बिल्कुल भी धान नही था तो एकाएक 5 हजार क्विंटल धान आया कहा से आ गया? और सूरज फूड्स राईस मिल रायगढ़ ने उस फड़ से किस वाहन में कब-कब धान उठा लिया? जहा पर धान महज चंद कट्टा था? ऐसे कई सवाल है जो कि कलेक्टर के आंखो मे धूल झोंक कर फर्जीवाड़ा के आरोपियो को बचाने के लिये खेला जा रहा है। आरोपियो को बचाने मे जुटा सरकारी विभाग के कुछ अधिकारी? बताया जा रहा है कि इस मामले मे बोहराबहाल धान उपार्जन केन्द्र के आरधा दर्जन आरोपियो के खिलाफ संगीन मामलो मे एफआईआर दर्ज किया गया है। जिसमें समिति प्रबंधक निराकर पटेल, फड प्रभारी नीलाम्बर पटेल, बारदाना प्रभारी दिलेश्वर पटेल, धान आवक-जावक प्रभारी दिलेश विश्वकर्मा, कम्प्यूटर ऑपरेटर शिवकुमार पटेल एवं प्राधिकृत अधिकारी टीकाराम पटेल के खिलाफ डेढ़ करोड़ रूपये के धान घोटाला करने के आरोप में बीएनएस की धारा 316(5), 318(4), 3(5) के तहत अपराध पंजीबद्ध कराया है। जांच समिति को यहा पर जांच में 5071 क्विंटल धान कम मिला था।
वही आरोपियो को बचाने के लिये बड़ा खेला करते हुए सूरज फू्ड्स रायगढ़ के नाम पर 4700 क्विंटल धान का डीओ काटा गया। और बिना धान के ही बोहरा बहाल सोसायटी से 5068 क्विंटल धान का उठाव हो गया। जबकि 7 अप्रैल को भी मौका निरीक्षण के फोटो-विड़ियो मे महज चंद कट्टा धान ही इस सोसायटी मे उपलब्ध था। ऐसे मे सवाल यही ख़ड़ा हो रहा है कि आखिर इस सोसायटी मे 5 हजार क्विंटल धान आया तो आखिर आया कहा से? और कौन से वाहन से किस-किस तारीख को किस जीपीएस लोकेशन के रिकार्ड से धान का उठाव किया गया? यह भी बड़ा साजिश की ओर संकेत दे रही है। इसकी जांच में भी एक और एफआईआर धोखाधड़ी का किया जा सकता है जिसमे मिली भगत करने वाले कुछ सरकारी विभाग के नुमाईदे भी लपेटे मे आ सकते है।