यहां हर रोज निकलता है सैकड़ों ट्रैक्टर अवैध रेत
स्कूल और आंगनबाड़ी के सामने से गुजर रहे बालू के ट्रक, कांशीचुवां हाईस्कूल प्राचार्य और सरपंच बघनपुर ने की शिकायत
रायगढ़, 09 नवंबर। मांड नदी से रेत के अवैध खनन और परिवहन की वजह से स्कूली बच्चों की जान पर बन आई है। बीच बस्ती और स्कूल के सामने से तेज रफ्तार में ट्रक और ट्रैक्टर निकल रहे हैं। इसकी शिकायत हाईस्कूल की प्राचार्य ने एसडीएम से की है। बघनपुर सरपंच ने लेबड़ा और बनहर में धड़ल्ले से अवैध रेत निकाले जाने की शिकायत की है। रायगढ़ अनुविभाग अंतर्गत कांशीचुवां में बहुत खतरनाक स्थिति है। मांड नदी से प्रतिदिन बेहिसाब रेत निकासी हो रही है। डंपर और ट्रैक्टर से रेत का अंधाधुंध परिवहन हो रहा है। प्राचार्य शाउमावि कांशीचुवां ने एसडीएम रायगढ़ से लिखित शिकायत की है। उनका कहना है कि स्कूल में करीब 350 बच्चे पढ़ते हैं।थोड़ी ही दूर पर एक प्राइवेट स्कूल भी है, जहां सैकड़ों बच्चे हैं। दोनों स्कूलों के सामने संकरी सडक़ में से रोजाना दो-ढाई सौ हाईवा व ट्रैक्टर गुजरते हैं। सबमें बालू लोड होता है। स्कूल आने-जाने के समय भी इनका आवागमन जारी रहता है जिससे कोई हादसा होने की आशंका है। इस पर रोक लगाने निवेदन किया गया है। बघनपुर सरपंच ने भी कलेक्टर से शिकायत की है। उनका कहना है कि लेबड़ा घाट और बनहर से रोज सैकड़ों अवैध रेत लेकर डंपर निकल रहे हैं। जिले में केवल उसरौट घाट से ही रेत खनन की अनुमति है।अन्य कोई भी घाट स्वीकृत नहीं है, लेकिन लेबड़ा घाट से रेत का अवैध खनन कर बनहर बस्ती के संकरे रोड से वाहनों को निकाला जा रहा है। इस वजह से दुर्घटना का खतरा बना हुआ है। इस रोड पर आंगनबाड़ी और प्राथमिक शाला संचालित हैं। गाडिय़ां बेहद तेज रफ्तार में चलती हैं। डूमरपाली चौक होते हुए कांशीचुवां बायपास मार्ग होकर भी रेत ढुलाई हो सकती है। दोनों रोड की दूरी में भी अंतर नहीं है। सरपंच ने ग्रामीणों की समस्या को ध्यान में रखकर बस्ती से रेत परिवहन पर रोक लगाने की मांग की है।
रेत निकाल देगा सबका तेल
राज्य सरकार ने रेत नीति बनाने में बहुत देरी कर दी है। नई सरकार बने एक साल होने को है लेकिन रायगढ़ जिले में केवल एक ही रेतघाट स्वीकृत है। अन्य जिलों में नियमों को थोड़ा शिथिल करके पर्यावरणीय अनुमति प्राप्त रेत खदानों का संचालन किया जा रहा है। लेकिन रायगढ़ जिले में कलेक्टर ने करीब सात रेत खदानों को निरस्त कर दिया है। इस वजह से अवैध खनन बढ़ा है। अकेले उसरौट से पूरे जिले को आपूर्ति नहीं हो सकती। इसलिए बालू माफिया हावी हो चुके हैं। इससे राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है। रेत खनन और परिवहन तो रुक नहीं रहा है।
लेबड़ा घाट भी ले गए थे टीम को
रेत खदानों को मंजूरी नहीं देने की वजह से माफियाओं के हाथ कीमतें जा चुकी हैं। इस बारे में प्रकाशित समाचार पर एनजीटी ने संज्ञान लिया था। जुलाई 2024 में जिला प्रशासन की ओर से जवाब दिया गया था कि 22 रेतघाटों का चिह्नांकन किया गया है जिनका आवंटन जल्द किया जाएगा। चार महीने बीत चुके हैं लेकिन प्रक्रिया का कुछ पता नहीं है। मजे की बात यह है कि ज्वाइंट टीम जब रायगढ़ दौरे पर आई थी, तब लेबड़ा घाट का निरीक्षण किया गया था।