उपार्जन केंद्रों और राईस मिलों में रायपुर से रखी जाएगी नजर
- धान की रिसायक्लिंग रोकने सीसीटीवी कैमरे लगाने मार्कफेड का आदेश, मिलर्स और समितियां उठाएंगी खर्च
रायगढ़, 7 नवंबर। प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान 3100 रुपए की दर से खरीदने की घोषणा सरकारी खजाने पर भारी पड़ रही है। 23-24 के धान की मिलिंग नहीं हो सकी है और अब इस साल की खरीदी प्रारंभ होने जा रही है। सरकार अब किसी भी तरह से खरीदी पर नियंत्रण लगाना चाहती है। इसके लिए उपार्जन केंद्रों और मिलों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश दिया गया है जो रायपुर से कनेक्ट रहेगा।
धान खरीदी केंद्रों में पूरा धान
वास्तविक किसानों का नहीं होता। यह तथ्य कई सालों से अफसरों को मालूम है लेकिन स्थानीय स्तर पर भ्रष्टाचार को खत्म नहीं किया जा सका। कितने भी जांच टीम बना ली जाए, कोई खास फायदा नहीं होता क्योंकि सब कुछ सांठगांठ से चलता है। इसलिए इस बार सरकार ने कुछ नया सोचा है। मार्कफेड मुख्यालय ने आदेश दिया है कि इस बार सभी उपार्जन केंद्रों और मिलों में दो-दो सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। इसकी खरीदी और इंस्टॉलेशन का खर्च खरीदी केंद्र और मिलर्स को ही उठाना होगा। मार्कफेड मुख्यालय में इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (आईसीसीसी) स्थापित होगा। इन सीसीटीवी कैमरों का लिंक आईसीसीसी से जुड़ा होगा। मतलब रायपुर से मिलों और उपार्जन केंद्रों की निगरानी होगी। प्रदेश के 2739 केंद्रों और 3048 मिलों में सीसीटीवी लगवाने का आदेश अपेक्स बैंक और डीएमओ को दिए गए हैं। धान की रिसायक्लिंग रोकने के लिए ऐसा किया जा रहा है।
समिति का धान समिति में बिक जाता है
रायगढ़ जिले में धान खरीदी में एक से बढक़र एक कांड होते हैं। उपार्जन केंद्र से धान उठाव के लिए डीओ जारी होता है। लेकिन कोई गाड़ी उठाव के लिए नहीं पहुंचती। केंद्र प्रभारी से मिल संचालक को डिलीवरी पावती मिल जाती है। डीओ को बेच दिया जाता है। धान को वहीं दूसरे खाते में खपा दिया जाता है। अंत में रबी का धान खरीदकर भरपाई कर दी जाती है। प्रति क्विंटल 800-1000 रुपए तक की कमाई बिना कुछ किए हो जाती है। इस तरह एक बार खरीदे गए धान की रिसायक्लिंग हो जाती है।