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टीबी का गढ़ बना टिमरलगा-गुड़ेली

टीबी का गढ़ बना टिमरलगा-गुड़ेली

टीबी का गढ़ बना टिमरलगा-गुड़ेली

  • दो बार हेल्थ कैम्प लगे जिसमें सबसे ज्यादा मरीज टीबी के ही, खनिज विभाग ने भगवान भरोसे छोड़ा लोगों को

रायगढ़, टिमरलगा और गुड़ेली क्षेत्र में स्थापित क्रशरों और चूना भ‌ट्ठों की वजह से वहां की आबोहवा दूषित हो चुकी है। हालात भयावह होते जा रहे हैं। पिछले दिनों दो स्वास्थ्य शिविर टिमरलगा और गुड़ेली में आयोजित हुए जिसमें सबसे ज्यादा मरीज टीबी के पाए गए। खनिज विभाग ने इस क्षेत्र के लोगों को भगवान भरोसे छोड़ दिया है। न तो क्रशरों की डस्ट कम हुई और न ही चूना भ‌ट्ठों का संचालन नियम से हो रहा है। रायगढ़, सक्ती और सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के बीचों बीच स्थित ग्राम टिमरलगा और गुड़ेली क्रशरों के कारण जाने जाते हैं। यहां पर दोनों जिलों के कारोबारियों ने क्रशर लगाकर करोड़ों की संपत्ति बनाई है। इसके बदले में क्षेत्र के लोगों को टीबी जैसी बीमारी दी है। हाल ही में यहां दो स्वास्थ्य शिविर लगाए गए थे। पहले कैम्प में 63 में से 30 लोगों में टीबी के लक्षण पाए गए। जबकि दूसरे में भी टीबी के 11 गंभीर मरीज मिले।

इसका प्रमुख कारण क्रशरों पैदा हो रही स्टोन डस्ट है। रोड पर भी यही डस्ट फैली होती है, जो उड़कर लोगों के फेफड़ों में घुस रहा है। क्रशरों की वजह से गांवों का जीवन अभिशाप बन गया है। पर्यावरणीय स्वीकृति की शतों का पालन ही नहीं किया गया है। अभी भी क्रशरों से डस्ट को रोकने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई। क्रशर संचालकों को पौधरोपण, ऊंची बाउंड्रीवॉल, डस्टरोधी सिस्टम, पानी का छिड़काव समेत कई तरह की शर्तों का पालन करना होता है। टिमरलगा, गुड़ेली, सरसरा, लालाधुरवा क्षेत्र में स्थापित क्रशरों ने इन शर्तों का पालन नहीं किया जिसकी वजह से टीबी जैसी बीमारी फैल गई है।

क्रशरों को खुला संरक्षण

सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के खनिज विभाग ने तो क्रशरों पर कार्रवाई ही बंद कर दी है। केवल गाड़ियां पकड़ने तक ही कार्रवाई सीमित है। कलेक्टर धर्मेश साहू ने हेल्थ कैम्प लगवाया लेकिन अब वे भी इस समस्या का समाधान नहीं कर सके। टिमरलगा और गुड़ेली में केवल क्रशर नहीं बल्कि चूना भट्ठे और डामर प्लांट भी हैं, जिनके चिमनी की हाईट बेहद कम है। इनकी वजह से भी प्रदूषण फैल रहा है। लाइमस्टोन बोल्डरों की क्रशिंग के दौरान स्टोन डस्ट उड़ती है जिसमें हैवी पार्टिकल्स होते हैं। इनको रोकने के लिए पूरा कन्वेयर बेल्ट कवर्ड होना चाहिए। क्रशर संचालक यह सिस्टम नहीं लगाते। न तो बाउंड्रीवॉल बनाई गई और न ही पौधरोपण किया गया है। क्रशर में मजदूरों का स्वास्थ्य बीमा तक नहीं कराया जाता।

क्या कहते हैं सीएमओ

दो बार हेल्थ कैम्प लग चुका है। टीबी के मरीज बहुत ज्यादा मिले हैं। क्रशरों के कारण यहां टीबी फैल रहा है: एफआर निराला, सीएमएचओ सारंगढ़-बिलाईगढ़

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