सीआ से अनुमति नहीं, 25 दिन बाद गौण खनिज खदानें बंद
रायगढ़, सरकार को आए तकरीबन 11 महीने हो चुके हैं। इस दौरान पर्यावरणीय अनुमति देने वाली स्टेट इन्वायरमेंट इम्पैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी (सीआ) से गौण खनिज खदानों को अनुमति ही जारी नहीं हो सकी है। सीईसीबी से मिली राहत 27 अक्टूबर को खत्म हो जाएगी। इसके बाद गौण खनिज की खदानें बंद हो जाएंगी। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने ऐसे गौण खनिज खदानों को बंद करने का आदेश दिया है जिनको जिला स्तरीय प्राधिकरण से पर्यावरणीय अनुमति दे दी गई थी। बिना राज्य स्तरीय प्राधिकरण से अनुमति लिए खनन को बंद करने का आदेश दिया गया है।
पर्यावरण विभाग ने जशपुर, रायगढ़ और सारंगढ़ के 129 खनिपट्टों को जिला स्तर पर मिली पर्यावरणीय अनुमति को निरस्त कर उत्पादन बंद करने का आदेश दिया है। इसमें रायगढ़ जिले की 14 खदानें शामिल हैं। गौण खनिज जैसे रेत, लाइमस्टोन, डोलोमाइट, क्वाट्र्ज, फायरक्ले, साधारण पत्थर आदि के खनिपट्टा स्वीकृति के पूर्व भी पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन होता है। इसकी भी पूरी प्रक्रिया होती है। 2017 के पहले ऐसे गौण खनिज खदानों को डिस्ट्रिक्ट इन्वायरमेंट इम्पैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी (डीआ) से पर्यावरणीय स्वीकृति जारी कर दी गई थी। इसे लेकर एनजीटी ने सख्त आदेश जारी किया है। वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने भी इस संबंध में गाइडलाइन जारी की थी।
पूर्व में जारी आदेश में कहा गया था कि डीआ से स्वीकृति लेने वाले खनिपट्टाधारकों को स्टेट इन्वायरमेंट इम्पैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी (सीआ) से अनुमति लेनी अनिवार्य है। खनन के लिए डीआ से मिली अनुमति मान्य नहीं है। गाइडलाइन जारी होने के बाद भी लीजधारकों ने सीआ से पुनर्मूल्यांकन नहीं करवाया। 7 दिसंबर 2022 को एनजीटी ने आदेश दिया था कि ऐसे खदानों में उत्पादन नहीं किया जाएगा, जिनको सीआ से अनुमति नहीं मिली हो। इसके बाद सरकार ने एक साल का समय सभी लीजधारकों को दिया था जिसमें उन्हें आवेदन करना था। लेकिन किसी ने आवेदन नहीं किया। दिसंबर 2023 में एनजीटी ने सभी खदानों को बंद करने का आदेश दे दिया। इसके बाद भी केंद्र सरकार ने पहले मार्च 2024 और बाद में 27 अक्टूबर 2024 तक राहत दी थी। इस अवधि में गौण खनिज खदानों को सीआ से अनुमति लेनी थी। अभी तक किसी भी खनिपट्टे को अनुमति नहीं मिली है। 27 अक्टूबर के बाद ये गौण खनिज की खदानें बंद हो जाएंगी।
रायगढ़ आरओ के अधीन 129 ऐसी खदानें
सीईसीबी के रायगढ़ क्षेत्रीय कार्यालय के अधीन जशपुर, रायगढ़ और सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले हैं। इन तीनों जिलों में करीब 129 ऐसे खनिपट्टे हैं जिनको जिला स्तर पर ही डीआ से अनुमति देकर संचालित किया जा रहा था। अब ये खदानें बंद करनी पड़ेगी। इनमें रायगढ़ के 14, जशपुर के 84 और सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के 29 खनिपट्टे शामिल हैं। इसमें बरमकेला, पुसौर, खरसिया और सारंगढ़ ब्लॉक के सभी गौण खनिज खदानें बंद करने का आदेश है।
इन खदानों पर लगेगा ताला
एनजीटी के आदेश पर क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारी ने जशपुर, रायगढ़ और सारंगढ़ के 129 खनिपट्टों को डीआ से मिली अनुमति निरस्त कर दी थी। अतिरिक्त राहत के रूप में मिली मोहलत भी 27 अक्टूबर को खत्म हो जाएगी। इसके बाद खदानें बंद करनी पड़ेंगी। रायगढ़ जिले के शिवकुमारी राठिया, विजय अग्रवाल, विकास मित्तल, अशोक अग्रवाल, महेश गर्ग, रमेश होता, गौतम अग्रवाल, मुकेश अग्रवाल, ऋषभ अग्रवाल की खदानें शामिल हैं। सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले की सूची में साल्हेओना, जोतपुर, महुआपाली, टिमरलगा, गुड़ेली, बिलाईगढ़, कटंगपाली, सहजपाली, सरसरा, बेलटिकरी, टुण्ड्री, डुरूमगढ़, खर्री बड़े आदि की तकरीबन सभी खदानों से उत्पादन बंद करने को कहा गया है।