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अपोलो अस्पताल के फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. नरेंद्र ने पेट दर्द की वजह से भर्ती मरीज के दिल का किया इलाज! थाने में शिकायत दर्ज…

अपोलो अस्पताल के फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. नरेंद्र ने पेट दर्द की वजह से भर्ती मरीज के दिल का किया इलाज! थाने में शिकायत दर्ज…

अपोलो अस्पताल के फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. नरेंद्र ने पेट दर्द की वजह से भर्ती मरीज के दिल का किया इलाज! थाने में शिकायत दर्ज…

बिलासपुर। अपोलो अस्पताल के पूर्व कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ नरेंद्र जॉन केम की एक और कारस्तानी सामने आई है. पूर्व विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र शुक्ल के बेटे के बाद अब व्यवसायी ने अपने पिता के इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए डॉक्टर के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है.

व्यवसायी सुरेश टुटेजा ने सरकंडा थाने में दर्ज कराई अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि उनके पिता भगतराम को पेट दर्द की शिकायत पर 2006 में अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया था, जहां डॉ. नरेंद्र जॉन केम ने दिल का इलाज करने लगे, जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई. पुलिस ने डॉक्टर के खिलाफ इलाज में लापरवाही का मामला दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी है. मामले में डॉक्टर से पूछताछ के लिए जल्द ही दमोह जाएगा, जहां पुलिस ने इलाज में लापरवाही के मामले में गिरफ्तार किया है.

गौरतलब है कि दमोह के मिशनरी अस्पताल में नरेंद्र विक्रमादित्य यादव ने डॉ. नरेंद्र जॉन कैम के नाम से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी हासिल की थी. उसने जनवरी-फरवरी 2025 में 15 से ज्यादा हार्ट सर्जरी की, जिनमें से 8 मरीजों की मौत हो चुकी है. जिन मरीजों का ऑपरेशन किया था, उनमें से तीन की मौत एंजियोप्लास्टी के समय हुई थी. जांच में पता चला कि डॉ. नरेंद्र जॉन कैम के डिग्री और अनुभव पूरी तरह से फर्जी थे.

दमोह में फर्जी डॉक्टर का खुलासा होने के बाद बिलासपुर में भी हलचल हुई. अपोलो अस्पताल में 2006 में इलाज के दौरान पूर्व विधानसभा अध्यक्ष पं. राजेन्द्र शुक्ल की मौत के पीछे उनके बेटे ने प्रदीप शुक्ल ने फर्जी डॉक्टर को जिम्मेदार बताते हुए पुलिस में शिकायत की थी. इस पर फर्जी डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ नरेंद्र जान केम के खिलाफ सरकण्डा थाने में धारा 420, 465, 466, 468, 471, 304, 34 के तहत एफआईआर दर्ज किया गया है.

इस मामले में अपोलो प्रबंधन को भी आरोपी बनाया गया है. आरोप है कि बिना दस्तावेज सत्यापन के अस्पताल प्रबंधन ने फर्जी डॉक्टर को भर्ती कर इलाज का मौका दिया, जिससे गंभीर लापरवाही हुई और मरीज की जान चली गई. पुलिस मामले में प्रबंधन की भूमिका की भी जांच कर रही है.

जांच में पाई गई फर्जी डिग्रियां

पुलिस जांच में पाया गया कि नरेंद्र का असली नाम नरेंद्र विक्रमादित्य यादव है. वह देहरादून का रहने वाला है. दस्तावेजों में नाम नरेंद्र जॉन केम लिखा है. उसके पास 2006 में एमबीबीएस की डिग्री है, जो आंध्र प्रदेश मेडिकल कॉलेज की बताई गई है. उसका रजिस्ट्रेशन नंबर 153427 दर्ज है. इसके बाद जो 3 एमडी और कार्डियोलॉजिस्ट की डिग्रियां दी गई हैं, उनमें किसी का रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं है. ये डिग्रियां कलकत्ता, दार्जिलिंग व यूके की बताई गई हैं.

 

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