रायगढ़

RAIGARH NEWS “रेप पीड़िता को हाईकोर्ट से मिली राहत: 6 महीने की गर्भावस्था खत्म करने की दी अनुमति, बलात्कारी के बच्चे को जन्म देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता”

RAIGARH NEWS “रेप पीड़िता को हाईकोर्ट से मिली राहत: 6 महीने की गर्भावस्था खत्म करने की दी अनुमति, बलात्कारी के बच्चे को जन्म देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता”

 RAIGARH NEWS “रेप पीड़िता को हाईकोर्ट से मिली राहत: 6 महीने की गर्भावस्था खत्म करने की दी अनुमति, बलात्कारी के बच्चे को जन्म देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता”

रायगढ़: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक नाबालिग रेप पीड़िता को गर्भपात कराने की अनुमति देकर महत्वपूर्ण और संवेदनशील फैसला दिया है। जस्टिस बीडी गुरु की सिंगल बेंच ने कहा कि बलात्कार पीड़िता को गर्भावस्था जारी रखने या खत्म करने का अधिकार होना चाहिए। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि पीड़िता को बलात्कारी के बच्चे को जन्म देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

मामले की पृष्ठभूमि

 

सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले की 17 वर्षीय नाबालिग ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर गर्भपात की अनुमति मांगी थी। पीड़िता ने बताया कि एक युवक ने उसे प्रेमजाल में फंसाकर शादी का झांसा दिया और बार-बार उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। गर्भवती होने के बाद जब पीड़िता ने शादी का दबाव बनाया तो आरोपी ने इनकार कर दिया।

गर्भपात की प्रक्रिया और कोर्ट का आदेश

 

  • मेडिकल रिपोर्ट: मेडिकल जांच में बताया गया कि गर्भ 24 सप्ताह का है और भ्रूण स्वस्थ है। हालांकि, गर्भपात विशेष देखभाल और स्वास्थ्य सेवाओं के साथ किया जा सकता है।
  • डीएनए प्रिजर्वेशन: कोर्ट ने आदेश दिया कि गर्भपात के दौरान भ्रूण का डीएनए सुरक्षित रखा जाए ताकि इसे भविष्य में कानूनी प्रक्रिया में उपयोग किया जा सके।
  • तत्काल कार्रवाई: रायगढ़ के जिला अस्पताल या मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार को गर्भपात कराने के निर्देश दिए गए।

कोर्ट का दृष्टिकोण

 

जस्टिस गुरु ने कहा कि बलात्कार पीड़िता की मानसिक और शारीरिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए गर्भपात की अनुमति दी जानी चाहिए। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के पूर्व में दिए गए आदेशों और मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत लिया गया है।

पीड़िता के लिए न्याय और राहत

 

पीड़िता के वकील ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि रेप पीड़िता को ऐसी स्थिति में गर्भावस्था खत्म करने का अधिकार मिलना चाहिए। हाईकोर्ट ने इस मामले में संवेदनशीलता दिखाते हुए छुट्टी के दिन भी सुनवाई की और न्याय सुनिश्चित किया।

न्यायपालिका का संवेदनशील रुख

 

यह फैसला न केवल पीड़िता के लिए राहत है, बल्कि अन्य रेप पीड़िताओं के लिए भी उम्मीद का संदेश है। कोर्ट का यह रुख दिखाता है कि संवेदनशील मामलों में न्यायपालिका महिलाओं के अधिकारों और उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देती है।

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